पाकिस्तान के सेंटर फॉर रिसर्च एंड सिक्योरिटी स्टडीज ने अपनी वार्षिक रिपोर्ट में बताया है कि पाकिस्तान में 2022 में 376 आतंकवादी हमले हुए हैं और इनके कारण खैबर पख्तूनवा और बलोचिस्तान में पाक सुरक्षा बलों समेत कई लोग मारे गए। वहीं, पाकिस्तान इंस्टीट्यूट ऑफ़ पीस स्टडीज़ के मुताबिक इनमें से 282 हमले तो अकेले टीटीपी (तहरीक ए तालिबान ए पाकिस्तान) ने पाकिस्तान में किए हैं जिसमें कम से कम 500 सुरक्षाकर्मियों की मौत हुई। टीटीपी पाकिस्तान और अफ़ग़ानिस्तान के सीमावर्ती (डूरंड लाइन) इलाक़ों में सक्रिय चरमपंथी संगठन है जो लंबे समय से पाकिस्तान स्टेट के खिलाफ लड़ रहा है। टीटीपी कबीलाई इलाकों से सेना की वापसी और अपने क़ैद लड़ाकों की रिहाई चाहता है।
आर्थिक मोर्चे पर भी पाकिस्तान बेहद नाजुक दौर से गुजर रहा है। पाकिस्तान के स्टेट बैंक के पास अब केवल 5.8 अरब डॉलर का रिजर्व बचा है जो 8 साल में सबसे कम है। इससे अब पाकिस्तान के श्रीलंका की तरह से डिफाल्ट होने का खतरा मंडरा रहा है। जानकारों के अनुसार पाकिस्तान के पास अब जो भी विदेशी मुद्रा है उसमें से अधिकांश उसने चीन और सऊदी अरब जैसे विदेश देशों से इस शर्त पर उधार ली है कि वह उसका उपयोग नहीं करेगा। इसलिए अगर पाकिस्तान को दिया गया अगर कर्ज रॉल ओवर नहीं होता है और आईएमएफ से उससे मदद नहीं मिलती है तो पाकिस्तान का डिफॉल्ट होना तय माना जा रहा है।
अफगानिस्तान-तालिबान में इस कारण बढ़ रहा तनाव अफ़ग़ानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से पाकिस्तान में चरमपंथी हमले तेज हो गए हैं। तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (टीटीपी) ने अपने कमांडरों से कहा है कि वो पाकिस्तान के हर हिस्से में हमले करें। हाल के दिनों में ऐसा कई बार हुआ जब पाकिस्तान के सैन्यबल और अफगान तालिबान सीमा पर आमने सामने आ गए। दोनों तरफ से गोलियां चलीं और कई लोगों की जानें भी गईं। दरअसल, पाकिस्तान के साथ 2670 किमी लंबी सीमा पर 1893 में बनाई गई ‘डूरंड लाइन’ को अफगानिस्तान नहीं मानता है। जब-जब पाकिस्तान ‘डूरंड लाइन’ पर अपनी मोर्चाबंदी या तारबंदी को मजबूत करने की कोशिश करता है अफगानिस्तान की तरफ़ से विरोध होता है। पाकिस्तान की तरफ से सीमा पर चौकी बनाए जाने के प्रयास के साथ ही अफगानिस्तान की ओर से उस पर हमला कर दिया जाता है। हकीकत में समूचे अफगानिस्तान के लोगों को ये स्वीकार नहीं है। सीमा के दोनों तरफ पख्तून लोग ही रहते हैं।