scriptBangladesh Coup: पाकिस्तान के इस ‘वायरस’ ने बांग्लादेश में कराया तख्तापलट | coup in Bangladesh like Pakistan army in power after Sheikh Hasina resignation | Patrika News
विदेश

Bangladesh Coup: पाकिस्तान के इस ‘वायरस’ ने बांग्लादेश में कराया तख्तापलट

Bangladesh Coup: बांग्लादेश जो कभी पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा था। वहां सेना और सरकार पाकिस्तान के ही नक्शेकदम पर काम करती आई है।

नई दिल्लीAug 05, 2024 / 07:11 pm

Jyoti Sharma

Sheikh Hasina
Bangladesh Coup: कभी पाकिस्तान का पूर्वी हिस्सा रहे बांग्लादेश में बड़ा सैन्य तख्तापलट हो गया है। बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना (sheikh hasina) ढाका छोड़कर भारत आ गई हैं, हालांकि रिपोर्ट्स ये आ रही हैं कि वो यहां से अब ब्रिटेन जाएंगी। बांग्लादेश को पाकिस्तान (Pakistan) से भारत ने ही पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के समय बांग्लादेश मुक्ति वाहिनी बना कर 1971 में आजाद कराया था। लेकिन पूर्वी पाकिस्तान से बने बांग्लादेश ने आखिर वो ही किया जो पाकिस्तान में होता आया है। यहां हम बात कर रहे है कि पाकिस्तान के किस वायरस ने आखिर बांग्लादेश में ये तहलका मचा दिया जो खुद पाकिस्तान को भी खा रहा है। 

पाकिस्तान का सैन्य तख्तापलट वाला वायरस

दरअसल पाकिस्तान जब से भारत से अलग हुआ है, तब से वहां पर एक भी बार स्थिर सरकार नहीं बनी। सरकार तो बनती है लेकिन हर बार उसका वहां की सेना तख्तापलट कर देती है। पाकिस्तान में पहला सैन्य तख्तापलट सन् 1958 में हुआ था। तब वहां के राष्ट्रपति इस्कंदर मिर्जा थे। इसके बाद 1969 में तख्तापलट हुआ। तब वहां के राष्ट्रपति अयूब खान थे। आलम ये रहा कि पाकिस्तान में 1956 से 1971, 1977 से 1988 तक और फिर 1999 से 2008 तक सैन्य शासन रहा। इसके बाद भी पाकिस्तान में कोई भी सरकार अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाई, चाहे वो नवाज शरीफ की सरकार को या फिर इमरान खान की। इन दोनों पूर्व प्रधानमंत्रियों का कार्यकाल भी सेना की वजह से तहस-नहस हुआ है। इस बार के (2024) के आम चुनाव में भी पाकिस्तान की सेना का कथित तौर पर हस्तक्षेप माना जा रहा है।

आरक्षण कोटा पर प्रदर्शन

अब यही हाल बांग्लादेश में हुआ है। बांग्लादेश में पिछले एक महीने से आरक्षण में कोटा सिस्टम को लेकर हिंसक प्रदर्शन हो रहे हैं जिसमें अब तक कम से कम 500 लोगों की जान चली गई और हजारों लोग घायल हुए। प्रदर्शनकारी लोग प्रधानमंत्री शेख हसीना का इस्तीफा मांगने लगे। इस पर शेख हसीना की सरकार ने 20 जुलाई तक बांग्लादेश में कर्फ्यू का ऐलान कर दिया जिससे दंगाई और ज्यादा उग्र हो गए। ऐसे में सरकार ने प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार का जेल में बंद करना शुरू कर दिया।  इसके बाद इस मामले में संयुक्त राष्ट्र ने दखल अंदाजी कर कहा कि बांग्लादेश लोगों पर अत्याचार न किया जाय। UN का साथ पाकर प्रदर्शनकारियों में और ज्यादा साहस आ गया और प्रदर्शन और तेज हो गए। उन्होंने प्रधानमंत्री की इस्तीफे की मांग और तेज कर दी। 
हालत खराब होते देख फिर सोमवार को शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया और ढाका छोड़कर भारत चली आईं। अब वहां की देना बांग्लादेश में अंतरिम सरकार बनाने की कोशिश कर रही है। अब अगर सेना वहां सरकार बना लेती है तो सत्ता की कमान आर्मी चीफ के हाथ में होगी और पाकिस्तान के तरह में बांग्लादेश में सेना का राज चलेगा। 

बांग्लादेश में सैन्य तख्तापलट का पुराना इतिहास

बता दें कि ऐसा पहली बार नहीं है कि बांग्लादेश में तख्तापलट हुआ है। वहां पर सेना और सरकार का पाकिस्तान के जैसे ही चोली दामन का साथ रहा है। यहां के तख्तापलट का इतिहास काफी पुराना है।  1971 में बांग्लादेश की आजादी के बाद सिर्फ पहले के 5 साल ही वहां पर सरकार चल पाई थी। 1975 में सेना ने वहां तख्तापलट कर दिया। फिर अगले 5 साल तक यानी 1990 तक वहां सेना की ही सरकार रही। इसके। बाद जब 2009 में शेख हसीना सरकार में आईं तब भी बांग्लादेश में सेना का ही शासन था। ऐसे में कहा जा सकता है कि पाकिस्तान के इस सैन्य तख्तापलट का वायरस अब बांग्लादेश को भी धीरे धीरे अपनी ही हालत में लाता जा रहा है। 

क्यों हो रहा विरोध 

दरअसल ये छात्र 1971 में बांग्लादेश की आज़ादी के लिए लड़े गए संग्राम में लड़ने वाले नायकों के परिवार के सदस्यों के लिए सरकारी नौकरी का कोटा खत्म करने की मांग कर रहे हैं। इस कोटा में महिलाओं, दिव्यांगों और जातीय अल्पसंख्यक समूहों के लिए सरकारी नौकरियां भी आरक्षित है। साथ ही बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के नायकों के परिवार के सदस्यों को भी नौकरी दी जाती है। साल 2018 में इस सिस्टम को निलंबित कर दिया गया था जिससे उस समय इसी तरह के विरोध प्रदर्शन रुक गए थे। लेकिन पिछले महीने बांग्लादेश के उच्च न्यायालय ने एक फैसला दिया था जिसके मुताबिक 1971 के दिग्गजों के आश्रितों के लिए 30% कोटा बहाल करना था। 
प्रदर्शनकारी छात्र इस कोटा के तहत महिलाओं, दिव्यांगों और जातीय अल्पसंख्यकों के लिए 6% कोटा का तो समर्थन कर रहे हैं लेकिन वो ये नहीं चाहते कि इसका लाभ 1971 के बांग्लादेश मुक्ति संग्राम के दिग्गजों के परिवार के सदस्यों को मिले। इसलिए इस फैसले का विरोध शुरू हो गया जो अब भीषण हिंसा में बदल चुका है। 

Hindi News/ world / Bangladesh Coup: पाकिस्तान के इस ‘वायरस’ ने बांग्लादेश में कराया तख्तापलट

ट्रेंडिंग वीडियो