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शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए पुतिन आख़िरी बार 2018 में आए थे। इसी दौरान S-400 डील पर दोनों देशों ने साइन किए थे। 2019 में पीएम मोदी ने सुदूर पूर्वी रूसी शहर व्लादिवोस्तोक का दौरा किया था। भारत ने उस वक्त पूर्वी रूस के विकास में भारतीय बिजनेस भागीदारी को बढ़ावा देने के लिए एक बिलियन डॉलर के सॉफ्ट क्रेडिट लाइन की घोषणा की थी।
इस शिखर सम्मेलन में S-400 पर विस्तार से बातचीत होने की उम्मीद है। रूसी स्पूतनिक वैक्सीन का भारत में बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जा रहा और कोविड की दूसरी लहर में मॉस्को ने नई दिल्ली को कई तरह से मदद की थी, ऐसे में कोरोना वायरस को लेकर भी बातचीत की संभावना है।
दोनों देश अफगानिस्तान के मसले पर भी बातचीत कर सकते हैं। हाल ही में दोनों देशों के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) अफगानिस्तान के मुद्दे पर बातचीत को मिले हैं। काबुल पर तालिबान के कब्जे के बाद से रूसी NSA निकोलाई पी। पत्रुशेव दो बार भारत का दौरा का चुके हैं।
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भारत और रूस के बीच रक्षा संबंध बेहद मजबूत है। चार बड़े प्रोजेक्ट की मैन्युफैक्चरिंग और प्रोडक्शन भारत में होनी है जिसमें 1136।6 फ्रिगेट, असॉल्ट राइफल AK-203 आदि प्रमुख हैं। इसके साथ ही भारत को Su-30 MKI, मिग -29 और गोला-बारूद की अतिरिक्त आपूर्ति होनी है।