वैसे, ज्यादातर सीटों पर बड़ी जीत का सपना देख रहे जस्टिन ट्रुडो को निराशा हाथ लगी है। कनाडा के लोगों ने 49 वर्षीय ट्रुडो की लिबरल पार्टी को संसदीय चुनावों में जीत दिलाई, मगर बहुमत के लिए जरूरी सीटें जीतने में उनकी पार्टी सफल नहीं हो सकी, जबकि ट्रुडो को उम्मीद थी कि कोरोना वायरस महामारी के लिए उनकी सरकार के प्रयासों को जनता बड़े स्तर पर समर्थन देगी, लेकिन जनता ने अन्य मुद्दों को अधिक महत्व दिया। हालांकि, लिबरल पार्टी ने किसी भी अन्य दल के मुकाबले सबसे अधिक सीटों पर जीत दर्ज की है।
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भारत यात्रा के दौरान CIA का एक अधिकारी हवाना सिंड्रोम का हुआ शिकार, एक महीने में यह दूसरी घटना मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ट्रुडो के लिबरल नेता 156 सीटों पर आगे थे, जो कि 2019 में जीती गई सीटों की तुलना में एक कम और हाउस ऑफ कामंस में बहुमत के लिए जरूरी 170 में से 14 कम है। यह ट्रुडो की तीसरी संघीय चुनावी जीत है। मगर उनके आलोचकों का कहना है कि वोटिंग समय की बर्बादी थी।
वहीं, कनाडा में कंजरवेटिव पार्टी इस बार भी मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी है। उन्हें 122 सीटों पर जीत मिली। ट्रुडो ने अपने समर्थकों से कहा कनाडा के लाखों लोगों ने एक प्रगतिशील योजना का चुनाव किया है। उन्होंने कनाडा के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि आपने मिलकर एक ऐसी सरकार चुनी है, जो आपके लिए लड़ेगी और आपके लिए कुछ करेगी।
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पूर्व आईएसआई चीफ का दावा- इस बार तालिबान पाकिस्तान नहीं भारत की सुन रहा और उसके मुद्दों को तवज्जो देगा ट्रुडो को बधाई देते हुए जगमीत सिंह ने कहा कि वह यह सुनिश्चित करने के लिए लड़ते रहेंगे कि अधिक अमीर अपना उचित हिस्सा दें। मंत्रिमंडल में शामिल हो रहे सभी तीन भारतीय कनाडाई मंत्री हरजीत सज्जन, अनीता आनंद और बर्दिश चागर ने चुनाव में जीत हासिल की है। न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता जगमीत सिंह ने भी जीत हासिल की है।