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मोदी सरकार के लिए मुश्किल खड़ी करने वाले कनाडा के PM ट्रुडो का इस्तीफा, कहा- पछतावा बस एक बात का है…

Justin Trudeau: भारत विरोधी नीतियों के लिए अक्सर चर्चा में रहे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया।

नई दिल्लीJan 07, 2025 / 07:52 am

Shaitan Prajapat

Justin Trudeau

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Justin Trudeau: भारत विरोधी नीतियों के लिए अक्सर चर्चा में रहे कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने सोमवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया। वह करीब नौ वर्षों तक कनाडा के प्रधानमंत्री रहे। कनाडा में नौकरियों और अर्थव्यवस्था के नाजुक हालात में पहुंच जाने, अमरीका ने नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के अतिरिक्त कर लगाने की घोषणा और भारत के वांछित आतंकियों को समर्थन लेने के मुद्दों पर जस्टिन ट्रूडो अपने लोगों के निशाने पर आ गए थे। पार्टी में बढ़ते आंतरिक असंतोष और लोकप्रियता में कमी आने के कारण उन्हें यह कदम उठाना पड़ा। ट्रूडो ने कहा कि ‘लिबरल पार्टी के नए नेता का चुनाव होने तक वह पद पर बने रहेंगे।’ हालांकि इस बारे स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है।

भारत विरोध के बाद अपने देश में ही घिरे

पिछले साल ट्रूडो ने खालिस्तानी आतंकी हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत की संलिप्तता का आरोप लगाया था। इन आरोपों के बाद दोनों देशों में तनाव बढ़ गया। निज्जर को कनाडा में एक गुरुद्वारे के बाहर गोली मार दी गई थी। भारत ने इन आरोपों को निराधार बताया था, क्योंकि कनाडा कोई सबूत भी नहीं दे पाया था। इसके बाद भारत ने कनाडा के छह राजनयिकों को निष्कासित कर दिया और ओटावा में अपने राजदूत को वापस बुला लिया। इसके बाद ट्रूडो इस मुद्दे पर खुद अपने देश में ही घिर गए थे।

नया नेता का चुनाव देखकर खुशी होगी


“कनाडा की लिबरल पार्टी हमारे महान देश और लोकतंत्र के इतिहास में एक महत्त्वपूर्ण संस्था है। एक नया प्रधानमंत्री और लिबरल पार्टी का नेता देश के मूल्यों और आदर्शों को अगले चुनाव में आगे बढ़ाएगा। मुझे अगले कुछ महीनों में इस प्रक्रिया को होते देख कर खुशी होगी।”
-जस्टिन ट्रूडो, इस्तीफा देने के बाद

पार्टी में नए नेता की तलाश शुरूः

ट्रूडो 2015 से कनाडा के प्रधानमंत्री थे और उनके इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी में नए नेता की तलाश शुरू हो गई है। ट्रूडो के इस्तीफे से कनाडा में इसी साल चुनाव की संभावना भी बढ़ गई है। इसके पहले ट्रूडो ने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया था, लेकिन पार्टी ने उन पर इस्तीफा देने का दबाव बनाया था और चेतावनी दी थी कि अगर वह इस्तीफा नहीं देंगे तो उन्हें पद से हटाने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

आगे क्याः
अंतरिम नेता का चुनाव संभव

ट्रूडो के इस्तीफे के बाद लिबरल पार्टी अब प्रधानमंत्री के पद पर कार्यभार संभालने के लिए एक अंतरिम नेता का चयन करेगी। इसके साथ ही पार्टी एक विशेष नेतृत्व सम्मेलन भी आयोजित करेगी, लेकिन यह प्रक्रिया आमतौर पर काफी समय लेती है। यदि चुनाव इससे पहले होते हैं, तो पार्टी को ऐसे प्रधानमंत्री के अधीन काम करना पड़ेगा, जिन्हें पार्टी सदस्य नहीं चुनेंगे। यह कनाडा के इतिहास में पहली बार होगा।
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क्या है वजहः

सर्वे में पिछड़ने पर बढ गया था इस्तीफे का दवाब

-ट्रूडो के सबसे करीबी कैबिनेट सहयोगियों में से एक वित्त मंत्री और कनाडा की उप प्रधानमंत्री क्रिस्टिया फ्रीलैंड बीते दिसंबर में उनके खिलाफ हो गई थीं। दोनों के बीच अमरीका के नवनिर्वाचित राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के संभावित टैक्स लगाने की घोषणा पर मतभेद सामने आने के बाद टकराव शुरू हो गया था।
-क्रिस्टिया से मतभेद के बाद ट्रूडो ने उनकी राजनीतिक ताकत कम करने की कोशिश की। इसके बाद क्रिस्टिया ने इस्तीफा दे दिया। इसे ट्रूडो के लिए एक झटका माना गया। कहा गया कि ट्रूडो अल्पमत की सरकार चला रहे हैं। क्रिस्टिया ने उनपर राजनीतिक नौटंकी करने का आरोप लगाया था।
-हालांकि ट्रूडो के इस्तीफे का सबसे बड़ी वजह सर्वेक्षणों में उनका लगातार पिछड़ते जाना है। 31 दिसंबर को प्रकाशित एक सर्वे में हिस्सा लेने वाले 50 फीसदी से ज़्यादा लोग कंजर्वेटिव पार्टी के साथ दिखे और प्रधानमंत्री के लिए पियर पॉलिवेयर को पहली पसंद बताया। सिर्फ 17.4 फीसदी ने ही ट्रूडो को पसंद किया।
-सर्वे के मुताबिक, कनाडा की कंजर्वेटिव पार्टी ताजा सर्वे में लिबरल से 26 अंकों से आगे चल रही है जो कि अब तक कि सबसे बड़ी बढ़त है। यह ट्रूडो के पद छोड़ने की मांग के साथ हुआ है। नौकरियों और अर्थव्यवस्था पर चिंता भी चार साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई है।
-हाल ही में हुए इप्सोस पोल में भी ट्रूडो की लोकप्रियता में गिरावट देखी गई है। 73 फीसदी लोग मान रहे थे कि ट्रूडो को इस्तीफा देना चाहिए और लिबरल को नया नेता चुनना चाहिए। सिर्फ 27 फीसदी लोग ट्रूडो के साथ दिखे। एक अन्य सर्वे में लिबरल पार्टी का समर्थन ऐतिहासिक रूप मात्र 16 फीसदी रह गया था।
-सितंबर 2024 में कनाडा में हुए उपचुनाव में टोरंटो की सीट पर विपक्षी पार्टी की जीत हुई। मॉन्ट्रियाल, जो लिबरल का मजबूत गढ़ माना जाता है, वहां भी उनकी हार लिए बड़ा झटका था।

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