दरअसल न्यूब्रू करीब 95 प्रतिशत नीवॉटर से बनी है, जो ना सिर्फ सुरक्षित पेयजल के अंतरराष्ट्रीय मानकों का पालन करता है, बल्कि बीयर बनाने के लिए उपयोग करने के लिए पूरी तरह से फिल्टर किया जाता है। इसका उद्देश्य हाल के सालों में देश की पानी की समस्याओं के बारे में जागरूकता पैदा करना है। बता दें कि सिंगापुर को इस वक्त पानी की कमी की चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है।
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सिंगापुर की वॉटर अथॉरिटी का कहना है कि यहां पीने के पानी की भारी कमी है। ये देश हर तरफ से समुद्र से घिरा है। समुद्र के पानी का इस्तेमाल पीने के लिए नहीं किया जा सकता। ऐसे में सरकार सालों ने पीने के पानी के विकल्प पर काम कर रही है। पानी की कमी के कारण यह देश सालों से मलेशिया से पीने का पानी खरीद रहा है। बारिश के पानी को भी स्टोर करके रिसाइकल किया जाता है।इन सब के बावजूद भी सिंगापुर को जरूरत का सिर्फ 50 फीसदी पानी ही मिल पाता है। बाकी जरूरत के काम के लिए नाले या सीवेज के पानी का इस्तेमाल करना पड़ता है। तो वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक साल 2060 तक सिंगापुर में आबादी बढ़ने के साथ ही पानी की मांग दोगुनी होने की उम्मीद है। ऐसे में नीवॉटर का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने पर जोर दे रही है।
बता दें कि इस तरीके से बीयर बनाना पहली बार नहीं है, इससे पहले क्राफ्ट बियर कंपनी ‘स्टोन ब्रूइंग’ ने 2017 में ‘स्टोन फुल सर्कल पेल एले’ लॉन्च किया था। अन्य ब्रुअरीज जैसे ‘क्रस्ट ग्रुप’ और ‘सुपर लोको ग्रुप’ ने भी स्वच्छ सीवेज रिसाइकिल पानी का उपयोग करके एक क्राफ्ट बीयर को लॉन्च किया था। तो आप बताईए कि कभी आपने कल्पना की है कि पेशाब से भी बीयर बनाई जा सकती है? और पेशाब से बनाई जा रही इस बीयर को क्या आप पीने का लेंगे रिस्क?