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Bangladesh: शेख हसीना वाजिद का भारत से प्रत्यर्पण कर सकता है बांग्लादेश

Bangladesh: बांग्लादेश के कार्यवाहक विदेश सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन का कहना है कि अगर आंतरिक मंत्रालय और कानून मंत्रालय कहेंगे तो वे भारत से शेख हसीना वाजिद (Sheikh Hasina Wajid) के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे।

नई दिल्लीAug 17, 2024 / 12:46 pm

M I Zahir

Sheikh Hasina

Sheikh Hasina

भारत सरकार के लिए शर्मनाक

बांग्लादेश के विदेशी सलाहकार मोहम्मद तौहीद हुसैन (Mohammad Tauheed Hussain) ने विदेशी मीडिया को दिए गए इंटरव्यू देते हुए कहा कि वह अटकलें नहीं लगाना चाहते, लेकिन शेख हसीना वाजिद (Sheikh Hasina Wajid) पर कई मामले चल रहे हैं, यह भारत सरकार के लिए शर्मनाक स्थिति है।  

तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की

तौहीद हुसैन ने कहा कि आंतरिक मंत्रालय और कानून मंत्रालय भारत से शेख हसीना के प्रत्यर्पण की मांग करेंगे, भारत अच्छी तरह से जानता है और मुझे यकीन है कि भारत इस मांग का सम्मान करेगा।  उधर, समाचार एजेंसी का कहना है कि भारतीय विदेश मंत्रालय ने तौहीद हुसैन के बयान पर तुरंत कोई टिप्पणी नहीं की। 

मुहम्मद यूनुस को प्रमुख नियुक्त किया

उल्लेखनीय है कि कुछ दिन पहले छात्रों के विरोध प्रदर्शन और 300 से ज्यादा लोगों की मौत के बाद बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना वाजिद ने इस्तीफा दे दिया था और देश छोड़ कर भारत भाग गईं थीं और नोबेल पुरस्कार विजेता डॉ. मुहम्मद यूनुस(Muhammad Yunus) को अंतरिम सरकार का प्रमुख नियुक्त किया गया।

अलग-अलग मामलों में नामित किया

छात्र आंदोलन के दौरान विरोध प्रदर्शन के दौरान नागरिकों की हत्याओं और हिंसा से संबंधित मामले हसीना वाजिद और उनके समय के महत्वपूर्ण सरकारी अधिकारियों पर दर्ज किए गए हैं और अब तक शेख हसीना वाजिद सहित 10 और हस्तियों को 3 अलग-अलग मामलों में नामित किया गया है।

बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार : एक नजर

बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार बांग्लादेश में एक अनिर्वाचित अंतरिम सरकार है जिसे स्वतंत्र और निष्पक्ष आम चुनाव करवाने का काम सौंपा गया है। प्रधानमंत्री के स्थान पर सरकार के प्रमुख मुख्य सलाहकार को राष्ट्रपति द्वारा नियुक्त किया जाता है । मुख्य सलाहकार अन्य सलाहकारों को नियुक्त करता है, जो मंत्रियों के रूप में कार्य करते हैं। नियुक्तियाँ गैर-पक्षपाती होने का इरादा रखती हैं। कार्यवाहक सरकार केवल आवश्यक नीतिगत निर्णय लेने की अनुमति है और वह चुनाव नहीं लड़ सकती।

फ्लैशबैक : सन 1996 संविधान संशोधन


बांग्लादेश में सन 1990 के अंत में, लोकतंत्र समर्थक हिंसक अशांति के कारण जनरल हुसैन मुहम्मद इरशाद को राष्ट्रपति पद से इस्तीफा देना पड़ा था। राजनीतिक दलों के गठबंधन ने अंतरिम सरकार का नेतृत्व करने के लिए मुख्य न्यायाधीश शहाबुद्दीन अहमद को कार्यवाहक राष्ट्रपति नियुक्त किया और सन 1991 के आम चुनाव के बाद संक्रमणकालीन सरकार को बदल दिया गया था। सन 1996 में, बांग्लादेश के संविधान में 13वें संशोधन द्वारा गैर-पक्षपाती अंतरिम (“कार्यवाहक”) सरकारों की प्रथा को औपचारिक रूप दिया गया। वहीं सन 2006-2008 में कार्यवाहक सरकार रही।

जब चुनाव रद्द हुए

जबकि सन 2007 में बांग्लादेश की कार्यवाहक सरकार के कार्यकाल का एक कार्टून जिसमें भ्रष्ट राजनेताओं की बड़े पैमाने पर गिरफ़्तारी का वर्णन किया गया है। आरिफ़ुर रहमान ने सन 2006 के अंत में, राष्ट्रपति इयाजुद्दीन अहमद ने एक कार्यवाहक सरकार बनाई। मुख्य न्यायाधीश केएम हसन मुख्य सलाहकार की भूमिका निभाने में असमर्थ थे और अवामी लीग के अनुसार , निवर्तमान सरकार – प्रधानमंत्री खालिदा जिया की बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) ने हसन को मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया। विवाद के परिणामस्वरूप हिंसक अशांति हुई और जनवरी 2007 के आम चुनाव रद्द कर दिए गए।

अवधि सीमा पार

जनवरी 2007 में फखरुद्दीन अहमद ने बांग्लादेश सशस्त्र बलों के समर्थन से एक नई कार्यवाहक सरकार बनाई। कार्यवाहक सरकार ने भ्रष्टाचार के लिए अवामी और बीएनपी सदस्यों पर मुकदमा चलाते हुए सीमित आपातकाल की स्थिति बनाए रखी। वहीं सन 2008 के आम चुनाव के बाद कार्यवाहक सरकार को बदल दिया गया , क्योंकि संवैधानिक रूप से अनिवार्य 120 दिनों की अवधि सीमा पार हो गई थी।

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