इसी महीने यूनाइटेड बलूच आर्मी और बलूच रिपब्लिकन आर्मी का पाकिस्तान और चीन के खिलाफ विलय हुआ है। इस विलय के बाद ही बलूच नेशनलिस्ट आर्मी का गठन किया गया और इसी धड़े ने पंजाब के लाहौर में हुए बम ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली थी। 20 जनवरी को लाहौर में हुए विस्फोट में 3 लोगो की मौत हुई थी जबकि 20 अन्य घायल हो गए थे।
बता दें कि पाकिस्तान में काफी लंबे समय से बलूच अलगाववादी अपनी आजादी की जंग लड़ रहे हैं। पाकिस्तानी हुकूमत के खिलाफ ये लड़ाई अब अपने नए चरण पर पहुँच गई है।
BNA बलूचिस्तान की दो सबसे बड़ी जनजातियों मैरिस और बुगटिस के एक साथ आने का भी प्रतीक है। ये वो जनजातियाँ हैं जो ऐतिहासिक रूप से हमेशा एक दूसरे की दुश्मन रही हैं। इसी स्पष्ट है कि बलूचिस्तान के अलगाववादी किस हद तक चीन और पाकिस्तान को सबक सिखाना चाहते हैं।
एशिया टाइम्स की रिपोर्ट की रिपोर्ट के अनुसार ये विलय न केवल बलूचिस्तान की आजादी के लिए है बल्कि चीन के हितों पर भी कड़ा प्रहार करने के लिए भी है।
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इन विद्रोहियों के निशाने पर शुरू से ही जिनपिंग का ड्रीम प्रॉजेक्ट सीपीईसी रहा है जो बेल्ट एंड रोड प्रॉजेक्ट का एक अहम हिस्सा है।
दरअसल, अफगानिस्तान में जिस तरह से तालिबान ने सत्ता हासिल की है उससे बलूचों को एक नई ऊर्जा मिली है। बलूच आर्मी लगातार अपनी पहुँच को पाकिस्तानी के पंजाब प्रांत में बढ़ा रही है और चीनी हितों पर वार कर रही है।
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