आरोपियों के परिवारों के गठित एक सहायता समूह के एक सदस्य ने AFP को बताया कि इस सज़ा के खिलाफ वे उच्च न्यायालय में चुनौती देंगे। अपना नाम ना बताने की शर्त पर उन्होंने बताया कि इस मामले में गिरफ्तारी और अभियोजन का पैटर्न पहले के मामलों के जैसा ही है। पाकिस्तान की सरकार से उनका आग्रह है कि इन मामलों में बढ़ोतरी के लिए एक आयोग का गठन किया जाए।
पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामलों में हुई बढ़ोतरी
बता दें कि मुस्लिम बहुल पाकिस्तान में ईशनिंदा एक भड़काऊ आरोप है। यहां पर कई गैर मुस्लिम लोगों को ईशनिंदा के आरोप में पकड़ा गया है। इतना ही नहीं आक्रोशित भीड़ ने कई आरोपियों की पीट-पीट कर हत्या तक कर दी है। ईशनिंदा को लेकर बीते सालों में पाकिस्तान में मामले बढ़े हैं। इनमें कई आरोपियों की हत्या तक कर दी गई। खासकर ईसाई समुदाय में ईशनिंदा को लेकर हत्या के मामले तेजी से बढ़े हैं।
इन लोगों की मिली ईशनिंदा पर सज़ा
1- सितंबर 2024 में पाकिस्तान के सिंध के उमरकोट में पुलिस ने ईशनिंदा के आरोप में एक डॉक्टर शहनवाज को गोली मार कर हत्या कर दी गई, इतना ही नहीं हत्या के बावजूद आक्रोशित भीड़ ने शव का अंतिम संस्कार तक नहीं करने दिया था। लोग शव को लेकर भाग गए थे और उसके साथ विभत्सतता की थी। 2- इसी महीने इस्लामाबाद की एक विशेष अदालत ने शौगाता करन नामक ईसाई महिला को व्हाट्सएप पर पैगंबर मुहम्मद के बारे में अपमानजनक पोस्ट करने के आरोप में मौत की सजा सुनाई। उन्हें पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295-C के तहत दोषी पाया गया और 3 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया था।
3- इससे पहले जुलाई 2024 में पाकिस्तान के एक थाने में भीड़ ने ईशनिंदा के आरोप में हिरासत में लिए गए एक शख्स को बाहर निकालकर उसकी पीट-पीट कर हत्या कर दी थी।
क्या कहता है कानून?
पाकिस्तान में ईशनिंदा के मामले एक गंभीर सामाजिक और कानूनी मुद्दा हैं। पाकिस्तान के कानून के तहत, खासतौर पर पाकिस्तान दंड संहिता की धारा 295-ए, 295-बी, और 295-सी, ईशनिंदा के आरोपों पर मौत की सजा तक का प्रावधान है। ये कानून धार्मिक अल्पसंख्यकों और यहां तक कि बहुसंख्यक मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को भी प्रभावित करता है। 1860 में ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय दंड संहिता में धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाने से संबंधित कानून जोड़े गए थे। फिर 1980 के दशक में जनरल ज़िया-उल-हक के शासनकाल में इन कानूनों को सख्त बना दिया गया, जिसमें पैगंबर मुहम्मद का अपमान करने पर मृत्युदंड का प्रावधान शामिल हुआ।