बाल कल्याण समिति के अधिकारी ने बताया तीनों छात्राएं एक सरकारी स्कूल की आठवीं कक्षा की हैं और 13 साल की हैं। उन्होंने किसी भी तरह बीटीएस सितारों से मिलने का फैसला किया। दक्षिण कोरिया जाने के लिए विशाखापत्तनम बंदरगाह को चुना। चार जनवरी को लड़कियां चुपचाप घर से निकल गईं। जब वे घर नहीं लौटीं तो उनके माता-पिता ने करूर पुलिस में शिकायत दर्ज कराई। राज्यभर में पुलिस को सतर्क कर तलाश शुरू की गई।
जब विकल्प नहीं बचा तो लौट गईं घर किशोरियों के पास लगभग 14,000 रुपए थे, जो उनकी बचत थी। उन्हें विश्वास था कि वे दक्षिण कोरिया जा सकती हैं। काफी जद्दोजहद के बाद उन्हें चेन्नई के एक होटल में कमरा मिल गया। उन्हें लगा कि वे बिना पासपोर्ट जहाज से सियोल जा सकती हैं। शुक्रवार को वे इधर-उधर भटकती रहीं। जब कोई विकल्प नहीं बचा तो घर लौटने के लिए चेन्नई से एक ट्रेन में सवार हो गईं।
बीटीएस बैंड की बन गई दीवानी लड़कियों को बीटीएस बैंड और इसके सितारों के बारे में काफी जानकारी थी। उनके कपड़े पहनने के तरीके से लेकर अन्य जानकारी इसमें शामिल है। उन्होंने पॉप बैंड सितारों जैसे जूते भी खरीदे थे। वे बीटीएस बैंड की दीवानी हैं। स्मार्टफोन के इस्तेमाल से बैंड के प्रति उनकी दीवानगी जुनून में बदल गई।