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अजब गजब

तो ये थे असली लाफिंग बुद्धा, इस वजह से दिया गया था ऐसा नाम

आज हम आपको लाफिंग बुद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं ताकि अगली बार इसे खरीदने से पहले आपको इनके बारे में अच्छे से पता हो।

Nov 26, 2018 / 12:44 pm

Arijita Sen

लाफिंग बुद्धा

तो ये थे असली लाफिंग बुद्धा, इस वजह से दिया गया था ऐसा नाम

नई दिल्ली। हर किसी का सपना होता है कि उसके पास एक सुंदर सा घर हों जिसे वो अपने पसंद के अनुसार सजाए।हालांकि केवल किसी घर को खरीदना और उसे सजाना ही काफी नहीं होता है क्योंकि अगर घर का वास्तु ठीक नहीं है तो इसका नकारात्मक प्रभाव वहां रहने वाले लोगों की जिंदगी पर पड़ता है। इसीलिए घर या दुकान घर लेने से पहले किसी अच्छे वास्तुशात्र के ज्ञाता को बुलाकर उस जगह की जांच करा लें तत्पश्चात ही उसे खरीदने के बारे में सोचें।

लाफिंग बुद्धा

घर में पॉजिटिव वाइब्स को आकर्षित करने के लिए हम फेंगशुई की अन्य वास्तु सामग्रियों का भी इस्तेमाल करते हैं और इनमें प्रमुख है लाफिंग बुद्धा की तस्वीर या मूर्ति। अकसर आपने लोगों के घर में इसे देखा होगा, लेकिन क्या आपने कभी जानने की कोशिश की, कि कौन है ये लाफिंग बुद्धा? क्या है इनके पीछे का रहस्य? आइए आज हम आपको लाफिंग बुद्धा के बारे में बताने जा रहे हैं ताकि अगली बार इसे खरीदने से पहले आपको इनके बारे में अच्छे से पता हो।

लाफिंग बुद्धा

लाफिंग बुद्धा, गौतम बुद्ध के कई सारे शिष्यों में से एक थे। जापान में रहने वाले गौतम बुद्ध के इस परम शिष्य का नाम होतेई था। होतेई को जैसे ही आत्मज्ञान की प्राप्ति हुई तो उन्होंने हंसना प्रारंभ कर दिया। जिंदगी भर वे ऐसे ही हंसते रहें।

होतेई एक गांव से दूसरे गांव को जाते थे और लोगों को हंसाते रहते थे। गांव वालों को उनके साथ रहने में आनंद आता था। हालांकि कभी-कभार वे उनकी हंसी को देखकर आश्चर्यचकित भी होते थे कि आखिर वे क्यों हमेशा हंसते रहते हैं? इसके पीछे की वजह क्या है?

लाफिंग बुद्धा

होतेई की सबसे बड़ी खासियत ये थी कि वे कहीं भी हंसना शुरू कर देते थे। बीच बाजार में खड़े होकर भी वो जोर—जोर से हंसते रहते थे। लोगों ने उनका नाम लाफिंग बुद्धा रख दिया। होतेई कभी भी कोई उपदेश या प्रवचन नहीं देते थे, लेकिन उनके व्यक्तित्व में एक ऐसा चुम्बकीय आकर्षण था कि वे जहां भी जाते थे सभी उनको घेरकर खड़े हो जाते थे।

लाफिंग बुद्धा

लाफिंग बुद्धा को देख लोगों को भी हंसी आती थी और सभी खुलकर हंसते थे और वो भी बिना किसी संकोच के। लोगों को उनकी हंसी के पीछे की जिज्ञासा को देखते हुए एक बार होतेई ने कहा कि, उनके पास अब कहने को कुछ भी नहीं है। उन्होंने लोगों से कहा कि तुम लोग बेकार ही में अकसर रोते रहते हो। लोगों को जी भरकर हंसने के लिए एक मूर्ख की आवश्यकता है जिन पर सभी हंस सकें।

होतेई ने कहा कि, उनका बस यही संदेश है कि किसी व्यक्ति का रोना या शोर मचाना उसकी व्यक्तिगत समस्या है। ईश्वर ने जिस दुनिया की रचना की है वो हंस रही है। चांद, तारे, फूल, पौधे, पक्षी सभी हंस रहे हैं और हम बैठकर रो रहे हैं। होतेई दुनिया को बस यही बताना चाहते थे कि, लोग इस भ्रम से जागे और खुश रहें, मुस्कुराये।

लाफिंग बुद्धा

होतेई ने एक सन्यासी के रूप में अपनी जिंदगी को बिताया। एक दौर था जब जापान के विभिन्न क्षेत्रों में घूम-घूमकर उन्होंने सभी के हंसाया। जापान में ही उन्होंने समाधि ली। लोग उनकी संगति में शान्ति का अनुभव करने लगे थे। तो ये थी लाफिंग बुद्धा की वास्तविक कहानी। इस वजह से लोग पॉजिटिविटी को आकर्षित करने के लिए आज भी अपने घरों में उनकी मूर्ति या तस्वीर को लाकर रखते हैं, हालांकि इसे किसी खास दिशा और नियम के अनुसार ही रखना चाहिए नहीं तो भविष्य में इसका फल उल्टा भी मिल सकता है।

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