दरअसल, दशकों पहले गांव के बड़े-बुजुर्गों ने लड़की की शादी कर देने के बाद उसे मायके में ही रखने का फैसला लिया। ये अनूठा कदम यूपी में बढ़ते हुए कन्या भ्रूण हत्या और दहेज हत्या के अपराधों को रोकने के लिए उठाया गया। कन्या भ्रूण हत्या और दहेज हत्या में किसी वक्त बहुत आगे रहे यूपी के इस गांव ने अपनी बेटियों को बचाने के लिए अनूठा तरीका अपनाया।
हिंगुलपुर गांव की लड़कियां जैसे ही शादी करने के लायक होती हैं, उनके रिश्ते की बात करते समय ये एक अहम शर्त होती है। गांव में रहने आ रहे दामाद को रोजगार की भी दिक्कत ना हो, इसका बंदोबस्त भी गांव के लोग मिलकर करते हैं। हिंगुलपुर गांव में आसपास के जिलों जैसे कानपुर, फतेहपुर, प्रतापगढ़, इलाहाबाद और बांदा के दामाद रह रहे हैं।
गांव में 18 से 70 साल की उम्र तक की शादीशुदा महिलाएं अपने पतियों के साथ बसी हुई हैं। यही वजह है कि यहां एक ही घर में दामादों की कई पीढ़ियां बसी हुई हैं। गांव में मुस्लिम बहुल आबादी के इस तरीके को अल्पसंख्यकों ने भी अपना लिया है। अपनी बेटियों को सुरक्षित रखने के लिए गांव के लोगों ने बेटियों को मायके में ही रखने का फैसला किया।
सिर्फ यहीं नहीं, इस गांव की एक खासियत यह भी है कि वहां की लड़कियों को ऐसे गुण सिखाए जाते हैं कि वह किसी पर निर्भर रहने की मौहताज नहीं होतीं। दामाद के ससुराल में रहने वाले शर्त के कारण से लड़की बिनब्याही रहे और फिर उसे आर्थिक दिक्कत हो जाए, इससे बचने के लिए यहां लड़कियों की पढ़ाई-लिखाई पर खास जोर दिया जाता है। पढ़ाई के बाद उन्हें कोई न कोई हुनर जैसे सिलाई-बुनाई भी सिखाई जाती है ताकि वे आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर न रहें।
हमारे देश भारत में हिंगुलपुर केवल ऐसा अकेला गांव नहीं है। मध्यप्रदेश के नरसिंहपुर जिला मुख्यालय के पास भी ऐसा ही एक गांव है, जहां दामाद आकर रहने लगते हैं। यहां का बीतली नामक गांव जमाइयों के गांव के नाम से मशहूर है। भारत में विवाह को बहुत ही बड़ा बंधन माना जाता है। ऐसे में बेटिया सुरक्षित रहें उसके लिए ऐसे कदम उठाना बहुत बड़ी बात है।