हम यहां मिस्र की राजकुमारी क्लियोपैट्रा की बात कर रहे हैं जिन्हें सुंदरता की देवी भी कहा जाता था। क्लियोपैट्रा न केवल खूबसूरत थीं बल्कि वह काफी चतुर और कुशल षड्यंत्रकारी भी थीं। यह राजकुमारी बहुत मेधावी थीं और उन्हें एक साथ कई भाषाओं का ज्ञान भी था।
क्लियोपेट्रा के पिता की मृत्यु उस वक्त हुई जब वह मात्र 14 साल की थीं। वसीयत के अनुसार क्लियोपेट्रा और उनके भाई टोलेमी दियोनिसस को संयुक्त रूप से राज्य प्राप्त हुआ। क्लियोपेट्रा के भाई को यह मंजूर नहीं थी। पुरुषवादी सोच के चलते अपनी बहन की अधीनता को टोलेमी ने स्वीकार नहीं किया और क्लियोपेट्रा के खिलाफ उनका भाई विद्रोह कर बैठा। न केवल भाई बल्कि राज्य के अन्य लोगों को भी क्लियोपेट्रा की अधीनता मंजूर नहीं थी। इन सभी कारणों के चलते क्लियोपेट्रा को अपने ही राज्य से भागना पड़ा और इस तरह वह सीरिया पहुंच गईं। हालांकि इस बीच उनकी हिम्मत रत्ती भर भी कम नहीं हुई।
मिस्त्र की राजगद्दी को दोबारा हासिल करने के लिए क्लियोपेट्रा ने रोम के शासक जूलियस सीजर को अपने रुपजाल में फंसाने की चाल चलीं। उनकी यह चाल कामयाब रही और सीजर ने उनकी मदद करने के लिए तुरंत हामी भर दी।
सीजर ने मिस्र पर हमला बोला और टोलेमी को मारकर क्लियोपेट्रा को मिस्र के राजसिंहासन पर बैठाया। राजपाट में फिर से अनबन की शुरूआत हुई तो क्लियोपेट्रा ने अपने छोटे भाई को जहर देकर मार दिया।
इसके बाद वह रोम में जाकर सीजर के साथ रहने लगीं। रोम के लोगों को यह संबंध पसंद नहीं आया तो सीजर की हत्या करवा दी गई।
सीजर के जाने के बाद क्लियोपेट्रा को सीजर के एक सेनानायक एंटनी से प्यार हो गया। इधर रोम के लोग मिस्त्र की बढ़ती हुई ताकत से परेशान थे और किसी भी हालत में मिस्र की ही एक औरत को एंटनी की पत्नी बनते हुए देखना उनके लिए मुमकिन नहीं था। फिर से साजिश रची गई। एक बार युद्ध के दौरान एंटनी को यह बताया गया कि क्लियोपेट्रा अब नहीं रहीं। जबकि यह सच नहीं था। इस बात को सुनते ही एंटनी सदमे में आ गया और अपनी ही तलवार पर गिरकर मारा गया।
सीजर के बाद ओक्तावियन ने रोम की गद्दी संभाली। ओक्तावियन चतुर था उसे फंसाना क्लियोपेट्रा के लिए संभव नहीं हुआ। ऐसा कहा जाता है कि ओक्तावियन ने किसी डंकवाले जानवर से क्लियोपेट्रा की हत्या करवा दी। इस तरह से 30 ई. पू. क्लियोपेट्रा इस दुनिया को छोड़कर चली गईं और मिस्त्र पर रोमनों का अधिकार हो गया। हालांकि उनकी मृत्यु के विषय में भी तरह-तरह की बातें कही गई हैं, अब वास्तव में क्या सच है इसे दावे के साथ बताया नहीं जा सकता है।