पौराणिक मान्यताओं में कैलाश को कुबेर की नगरी बताया गया है। आखिर वह क्या कारण हो सकता है कि माउंट एवरेस्ट ( mount everest ) से कम ऊंचा होने के बाद भी कैलाश पर्वत को कोई पर्वतारोही फतह नहीं कर सका। कई रहस्यमई कहानियां अपने सीने में दबाए कैलाश की कुछ कहानियां सुनी सुनाई हैं और कुछ तथ्य ऐसे हैं जिस पर नासा की भी बोलती बंद हो चुकी है।
गौरतलब है कि धरती के एक ओर उत्तरी ध्रुव है, तो दूसरी ओर दक्षिणी ध्रुव। दोनों के बीचोबीच हिमालय स्थित है। और हिमालय का केंद्र है कैलाश पर्वत। वैज्ञानिकों के मुताबिक, यह धरती का केंद्र है। इस केंद्र में प्रवेश करने के बाद यहां ‘दिशा सूचक’ ( compass ) भी सही से काम नहीं करता। यह केंद्र दुनिया के 4 मुख्य धर्मों- हिंदू, जैन, बौद्ध और सिख धर्म का केंद्र है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, कैलाश के वातावरण में पुण्यात्माएं निवास करती हैं। इन धर्मों के जानकारों का कहना है कि यहां सिर्फ पुण्यात्माएं ही निवास करती हैं।
एक मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कैलाश पर्वत और उसके आसपास के वातावरण पर अध्ययन कर चुके रूस के एक वैज्ञानिकों ने जब तिब्बत के मंदिरों में धर्मगुरुओं से मुलाकात की तो उन्होंने बताया कि कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक ऊर्जा का प्रवाह होता है जिसमें तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ टेलीपैथिक Telepathic संपर्क करते हैं। अब यह बात कितनी सही है कितनी गलत इसपर वैज्ञानिक लगातार शोध कर रहे हैं। लेकिन हम इस बात से भी इनकार नहीं कर सकते कि कोई तो शक्ति है जिसकी वजह से आज भी कैलाश पर्वत अजेय बना हुआ है।