अजब गजब

वाट्सएप ग्रुप ‘जीवन में हंसना जरूरी है’ का वार्षिक गोठजीवन में हंसना जरूरी है

Aug 26, 2024 / 05:19 pm

चंद्रशेखर वर्मा

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जीवन में हंसना जरूरी है: तनाव से दूर रह कर जीवन को हंसकर जीने का किया संकल्प
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नागौर. शहर के वाट्सएप ग्रुप ‘जीवन में हंसना जरूरी है’ का वार्षिक गोठ कार्यक्रम रविवार को सलेऊ रोड स्थित एक रिसोर्ट में आयोजित किया गया। 
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 कार्यक्रम में हास्य कवि केसरदेव मारवाड़ी व गीतकार धनराज दाधीच ने अपनी कविताओं व राजस्थानी गीतों से चार चांद लगा दिए। दोनों ही कलाकारों ने शहरवासियों का खूब मनोरंजन किया।
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 दिनभर चले कार्यक्रम के दौरान विभिन्न खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया,
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 वहीं शहरवासियों ने तैराकी व खाने-पीने का भी लुत्फ उठाया। कार्यक्रम के दौरान बारिश शुरू हुई तो कुछ लोगों ने नहाने का आनंद लिया।
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शसियत: राजस्थानी कवि केसरदेव मारवाड़ी से पत्रिका की विशेष बातचीत‘भागदौड़ भरी जिंदगी में तनाव बढ़ा है तो उसे दूर करने के दुनियाभर में साधन भी बढ़े हैं’
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 कार्यक्रम को सफल बनाने में आयोजन समिति के जंवरीलाल भट्ट, प्रवीण बांठिया, विमलेश समदड़िया, डॉ. हापूराम चौधरी, राजेश अग्रवाल, नंदकिशोर जांगिड़, शैलेष चौधरी, भोजराज सारस्वत, नरेन्द्र गहलोत, महावीर गहलोत, सत्यनारायण वैष्णव, दिलीप पित्ती, श्याम माथुर, सरोज प्रजापत, इंदूबाला चौधरी, सनत कानूगो, कमल डावर, दीपक सोनी, मनीष डावर, आनंद पुरोहित, केवलचंद बच्छावत, अनिल वर्मा आदि जुटे रहे।
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 वहीं पिंटूसा ललवानी, सुभाष ललवानी, अशोक कांगसिया, दिलीप चांडक, राजेश कंसारा, रामधन जांगिड़, सुखदेव मणिहार, गणपत कोठारी आदि ने भी कार्यक्रम को सफल बनाने में सहयोग दिया। 
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नागौर. राजस्थानी के हास्य कवि केसरदेव मारवाड़ी रविवार को एक सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने नागौर पहुंचे। इस दौरान उनसे समाज व परिवारों में बढ़े तनाव को लेकर राजस्थान पत्रिका ने विशेष बातचीत की। उन्होंने बताया कि वे मूल रूप से लाडनूं के रहने वाले हैं और उनका असली नाम केसरीमल प्रजापति है, लेकिन हास्य की दुनिया में आने के बाद उन्होंने अपना नाम केसरदेव मारवाड़ी रख लिया।
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 अंत में सभी ने तनाव से दूर रहकर जीवन को हंसते-हंसते जीने व एक-दूसरे का सहयोग करने का संकल्प लिया। 
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क्या आप मानते हैं कि वर्तमान में लोगों में तनाव बढ़ा है?
हां, तनाव बढ़ा है, लेकिन उसे दूर करने के साधन भी बढ़े हैं। तनाव को दूर करने के लिए दुनियाभर के साधन उपलब्ध हैं।
सोशल मीडिया से लोगों के बीच दूरियां घटी है या बढ़ी है?
दोनों ही है, आदमी जैसा सोचे, वो ही सही है। वैसे तो मजा ही अब आने लगा है। सोशल मीडिया की जिंदगी में सास को बहू से लड़ने का समय नहीं है, सास-बहू फेसबुक पर फ्रेंड हो रही है। पहले किसी काम के लिए कहीं जाते तो पता चलता घर पर ही कोई नहीं है, लेकिन अब फोन करके पता कर लेते हैं। पहले कहीं जाना होता था तो दस जगह पूछना पड़ता था, आज लोकेशन डालकर सीधा पहुंच जाओ।
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गीतकार धनराज दाधीच
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 कार्यक्रम के समापन पर हास्य कवि केसरदेव मारवाड़ी व गीतकार धनराज दाधीच का अतिथियों ने स्मृति चिह्न देकर सम्मान किया। प्रतियोगिताओं में विजेता रहे प्रतिभागियों को उपहार दिए।
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नागौर. कलाकारों को सम्मानित करते अतिथि।
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देखिए, भागदौड़ की इस जिंदगी में दुनिया आर्थिक आधार पर चलने वाली हो गई है। जब हर आदमी पैसे के पीछे भाग रहा है तो स्वाभाविक है थोड़ा टेंशन तो जीवन में आएगा। पारिवारिक रिश्ते भी कमजोर हो गए, सामाजिक ढांचा थोड़ा ढीला हो गया। ऐसे में आदमी ने अपने आप को उन्मुक्त कर लिया, इसलिए हर चीज पर निर्णय खुद को लेना पड़ता है, इसलिए तनाव सारा का भार एक व्यक्ति पर आ गया। पहले दादाजी पर आता था, पिताजी पर आता था, फिर बच्चों पर आता था, तो उसका बंटवारा हो जाता था। आजकल ऐसा नहीं है, इसलिए व्यक्ति तनाव ज्यादा महसूस कर रहा है। एक कारण यह भी है कि खर्चा बढ़ गया और आय के साधन कम हैं। रिश्ते टूट रहे हैं, उसका भी तनाव है।
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नागौर. कार्यक्रम में मौजूद शहरवासी।

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