अब सवाल यह आता है कि क्या वाकई में जम्हाई छुआछूत है? क्यों किसी को उबासी लेते देख हम भी वैसा ही करने लगते हैं? बता दें साल 2013 में म्यूनिख में साइकियाट्रिक यूनिवर्सिटी हॉस्पिटल ने इस बात का पता लगाने के लिए एक रिसर्च किया। इसके तहत करीब तीन सौ लोगों को शामिल किया गया और उन्हें ऐसा वीडियो दिखाया गया जिसमें लोग केवल जम्हाई ले रहे थे।
इस वीडियो को देखने के दौरान ज्यादातर लोगों ने एक से पंद्रह बार तक उबासी ली। वैज्ञानिकों ने पाया कि जब हम किसी को जम्हाई लेते देखते हैं तो ह्यूमन मिरर न्यूरॉन सिस्टम एक्टिवेट हो जाता है। यह विशेष तंत्रिकाओं का एक समूह होता है जो हमें दूसरों के व्यवहार को देख उसकी नकल करने के लिए हमें प्रेरित करता है।
इसके संक्रामक होने के पीछे एक और कारण है। दरअसल, प्राचीन जमाने में जब आदिवासी झूंड बनाकर रहते थे तो जब भी उन्हें खतरे का आभास होता था तो एक-दूसरे को सर्तक करने के लिए जम्हाई लेते थे। इससे आवाज भी नहीं होती थी और सभी सजग भी हो जाते थे। यानि कि एक तरह से यह इशारे का काम करता था।