एक समस्या कम हुई तो एक सबसे बड़ी समस्या अभी भी जस की तस बनी हुई थी। बच्चे के माता-पिता उसका इलाज कराने के लिए एक साल तक दर-दर की ठोकरें खाते रहे। आखिरकार उन्हें बच्चे के इलाज की उम्मीद दिखी। मुंबई के बोरीवली में रहने वाले उनके रिश्तेदार ने बच्चे के इलाज के लिए उन्हें यहां बुला लिया। बच्चे को बीएमसी के सायन अस्पताल ले जाया गया। जहां डॉक्टरों ने बच्चे का ऑपरेशन करने की तैयारियां शुरू कर दीं। करीब 6 घंटे तक चली सर्जरी में डॉक्टरों ने बच्चे के अतिरिक्त दो निजी अंगों को अलग कर दिया। इसे भारत की पहली डिफालिया की अनोखी सफल सर्जरी बताया जा रहा था।
बच्चे की सर्जरी करने वाले पीड्रियाटिक सर्जन डॉक्टर विशेष दीक्षित ने बताया कि अतिरिक्त अंगों को अलग करने के बाद बच्चा अब सामान्य हो जाएगा। दीक्षित ने बच्चे के माता-पिता के सभी उलझनों को दूर करते हुए बताया कि उनका बच्चा बड़ा होकर साधारण पुरुषों की तरह महिला के साथ संबंध भी बना पाएगा और वह पिता भी बन सकेगा। बच्चे का ऑपरेशन करने वाले डॉक्टर ने बताया कि बच्चे के तीन अंगों में एक अंग ऐसा था, जो सिर्फ मांस के लोथड़े जैसा था। जिसे अलग कर दिया गया। जबकि बाकि के बचे दो अंगों को एक साथ जोड़ दिया गया। एक हिंदी वेबसाइट के मुताबिक साल 1609 से 2015 के बीच ऐसे मामलों की कुल संख्या केवल 100 ही रही।