दरअसल काला पानी की सज़ा को सेल्युलर जेल भी कहा जाता है। इस जेल का निर्माण पोर्ट ब्लेयर में किया गया था जो कि अंडमान निकोबार द्वीपसमूह की राजधानी पर बनाई गई है। इस जेल का निर्माण अंग्रेज़ों ने करवाया था और इसे बनाने का मकसद स्वतंत्रता संग्राम में भाग लेने वाले सेनानियों को कैद करना था। साल 1857 की पहली क्रांति के दौरान अंग्रेजो ने इस जेल को बनाने का प्लान बनाया था। इस जेल को बनाने में 10 साल का समय लगा था। बता दें कि इस 3 मंजिल और 7 शाखाएं वाली जेल में 696 सेल मौजूद थे। एक सेल का आकार 4.5 मीटर से 2.7 मीटर था।
आपको बता दें कि इस जेल में कैदियों को बेड़ियों से बांधकर रखा जाता है साथ ही उनसे तेल भी निकलवाया जाता है। यह सज़ा किसी भी कैदी के लिए बेहद ही खौफनाक है। बता दें कि जिस किसी को भी काला पानी की सजा सुनाई जाती थी उसे भारत की भूमि से हजारों किलोमीटर की दूरी पर रखा जाता था। ऐसे में अगर कोई कैदी यहां से भाग भी नहीं सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि यह जेल चारों तरफ से पानी से घिरी हुई है।