scriptचंद्रयान 2 और 3 से पहले इसरो ने जानबूझकर चांद पर क्रैश किया था अपना स्पेसक्राफ्ट, जानें क्यों | Chandrayaan 3 ISRO deliberately crashed its spacecraft on moon before Chandrayaan 2 and 3 | Patrika News
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चंद्रयान 2 और 3 से पहले इसरो ने जानबूझकर चांद पर क्रैश किया था अपना स्पेसक्राफ्ट, जानें क्यों

Chandrayaan 3: भारत के लिए चंद्रयान-3 मिशन काफी अहम है। क्योंकि इससे पहले दो मिशन फेल हो चुके हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 2019 में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से पहले इसरो ने एक और चंद्रयान भेजा था। लेकिन बाद में उसने खुद ही इस मिशन को नष्ट कर दिया था।

Aug 23, 2023 / 12:05 pm

Jyoti Singh

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भारत आज इतिहास रचने जा रहा है। जिसका साक्षी हर देशवासी बनेगा। इसरो का चंद्रयान-3 मिशन जिसपर सबकी निगाहें टिकी हुई हैं, आज चंद्रमा पर उतरेगा। यानी चंद्रयान-3 की लैंडिंग शाम छह बजकर चार मिनट पर होगी। इस बीच भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो की ओर से चंद्रयान-3 से जुड़ी छोटी से बड़ी जानकारी दी जा रही है। जाहिर है कि भारत के लिए चंद्रयान-3 मिशन काफी अहम है। क्योंकि इससे पहले दो मिशन फेल हो चुके हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि साल 2019 में चंद्रयान-2 की लॉन्चिंग से पहले इसरो ने एक और चंद्रयान भेजा था। लेकिन बाद में उसने खुद ही इस मिशन को नष्ट कर दिया था। आइए जानते हैं।

 

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, साल 2008 में इसरो ने चंद्रमा पर एक अंतरिक्ष यान भेजा था। बाद में उसे जानबूझकर नष्ट कर दिया था। यह मिशन 22 अक्टूबर 2008 को लॉन्च किया गया था। इसके साथ ही भारत ने दुनिया को पृथ्वी की कक्षा के बाहर, किसी अन्य खगोलीय पिंड पर मिशन भेजने की अपनी क्षमताओं के बारे में बता दिया था। यह वो समय था जब सिर्फ चार अन्य देश चांद पर मिशन भेजने में कामयाब हो पाए थे। जिनमें अमेरिका, रूस, यूरोप और जापान शामिल थे।

बता दें कि इसरो ने भले ही अपने मिशन को जानबूझकर नष्ट कर दिया हो लेकिन भारत के चंद्रयान मिशन के तहत चांद की सतह पर मिला था जिससे ही भारत का नाम इस ऐतिहासिक लिस्ट में दर्ज हो गया।

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अंतरिक्ष यान के अंदर 32 किलोग्राम का एक जांच उपकरण रखा गया था। इसका उद्देश्य सिर्फ यान को क्रैश करना था, जिसे मून इम्पैक्ट प्रोब बताया गया। 17 नवंबर, 2008 की रात को करीब 8:06 बजे, इसरो के मिशन नियंत्रण में बैठे इंजीनियरों ने चंद्रमा प्रभाव जांच को नष्ट करने के निर्देशों को माना। कुछ ही घंटों में चांद की दुनिया में धमाका होने वाला था। मून इम्पैक्ट प्रोब ने चांद की सतह से 100 किलोमीटर की ऊंचाई से अपनी अंतिम यात्रा की शुरुआत की थी। जैसे ही जांच उपकरण चंद्रयान ऑर्बिटर से दूर जाने लगे, उसी समय ऑनबोर्ड स्पिन-अप रॉकेट सक्रिय हो गए। इसके बाद वह चंद्रमा की ओर जाने वाले मिशन को रास्ता दिखाने लगे।

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