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वाराणसी

बरेका के डीजल रेल इंजन की अब जिम्बाब्वे ने की मांग

दुनिया भर में बरेका के डीजल रेल इंजन की मांग है। इसी कड़ी में अब जिम्बाबवे ने भी बरेका से डीजर रेल इंजन की मांग की है। ये जानकारी महाप्रबंधक अंजलि गोयल ने मीडिया को दी। बताया कि अबजिंबाब्वे ने भी डीजल इंजन की मांग की है। वैसे म्यामार का प्रतिनिधिमंडल भी इन दिनों बरेका आया है।

वाराणसीAug 12, 2022 / 06:01 pm

Ajay Chaturvedi

बरेका के डीजल रेल इंजन की अब जिम्बाब्वे ने की मांग

बरेका के डीजल रेल इंजन की अब जिम्बाब्वे ने की मांग

वाराणसी. शहर के डीजल रेल इंजन कारखाने का नाम भले ही बीएलडब्ल्यू हो गया हो। यहां अब ज्यादातर विद्युत चालित इंजन बनाए जा रहे हैं। लेकिन बरेका में बने डीजल रेल इंजन की मांग अब भी विदेशों में ज्यादा है। दुनिया के कई देशों को बरेका से डीजल रेल इंजन भेजा जा चुका है। इस कड़ी में अब जिम्बाबवे भी आ गया है। बरेका की महाप्रबंधक अंजलि गोयल ने मीडिया को बताया कि बीएलडब्लू (बरेका) अब जिम्बाब्वे के लिए डीजल रेल इंजन बनाएगा।
बरेका की जीएम अंजलि गोयल
म्यांमार का प्रतिनिधिमंडल पहुंचा बरेका

उऩ्होंने बताया कि जिम्बाबवे के अतिरिक्त इन दिनों म्यांमार का प्रतिनिधिमंडल बरेका पहुंचा है। उन्होंने बताया कि बरेका दुनिया भर में अपनी तकनीक का झंडा बुलंद करने को तत्पर है। इसी क्रम में 12,000 हॉर्स पावर के रेल इंजन बनाने पर काम चल रहा है। इस पर रेलवे भवन की ओर से आगे की प्रक्रिया पूरी कराई जा रही है।
बरेका के सूर्य सरोवर पर लगी चित्र प्रदर्शनी

उन्होंने बताया कि बरेका के सूर्य सरोवर में बरेका की उपलब्धि पर आधारित चित्र प्रदर्शनी लगाई गई है। इस प्रदर्शनी में डीजल रेल इंजन कारखाना के शुरूआती दिनों से अब तक की उपलब्धियों के बारे में दर्शाया गया है। महाप्रबंधक ने बताया कि कारखाने में निर्मित छह हजार अश्व शक्ति क्षमता वाले अमृत शक्ति रेल इंजन को स्वतंत्रता सेनानियों को समर्पित किया गया है। ये भी बताया कि ये आजादी के 75वें साल के गौरवशाली मौके पर बरेका का 1964वां रेल इंजन है। इसके पहले देश बरेका ने 1964 में पहला रेल इंजन तैयार किया था।

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