अब लम्बा वक्त जेल में काटना होगा सीनियर जर्नलिस्ट और पॉलिटिकल एक्सपर्ट एके लारी ने patrika.com से बात करते हुए बताया कि मुख्तार अंसारी को इसके पहले भी सजा हुई है। यह कोई पहली सजा नहीं है, लेकिन यह सजा उम्र कैद की है। अब मुख्तार को लम्बा वक्त जेल में काटना है। उनका भाई अफजाल और बेटा अब्बास जेल में है। एक बेटा उमर और बीवी अफशां फरार हैं। यानी पूरा कुनबा परेशान है।
खत्म हुआ है सियासी प्रभाव एके लारी ने आगे बताया कि इनका पूरा कुनबा जेल में है। बाकी जो भाई-भतीजे हैं वो सामने आएंगे या नहीं ये कहना मुश्किल है। वहीं गाजीपुर, मऊ और आजमगढ़ की कुछ सीटों पर इनका जो सियासी प्रभाव था वह अब कम हुआ है। गाजीपुर की सियासत का पूरा मैदान खाली है क्योंकि अफजाल भी जेल में हैं। इनकी मुस्लिम वोटरों पर पकड़ थी लेकिन लगातार मिल रही सजाओं से वह पकड़ भी ढीली हुई है।
सपा के लिए चैलेन्ज उन्होंने कहा कि प्रदेश में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी सपा है और गाजीपुर में अभी बाई इलेक्शन होने हैं जैसे आजमगढ़ में हुए और सपा हार गयी लेकिन यहां उसे ऐसा गठजोड़ करना होगा कि जो लोग इस सजा से नाराज हैं उन्हें अपने लिए वोट में तब्दील करना होगा। तो हम कह सकते हैं कि मुख्तार की उम्र कैद की सजा से सपा का चैलेन्ज बढ़ा है।
राजनीति से दूर मुख्तार पिछले डेढ़ दशक से पॉलिटिकल जर्नलिज्म में अपनी पकड़ बनाने वाले अभिषेक त्रिपाठी ने patrika.com को बताया कि हमें थोड़ा पीछे चलने की जरूरत है जब 29 अप्रैल को माफिया मुख्तार और उसके भाई अफजाल को तीन साल से अधिक की सजा हो गई। उससे वो सीधे तौर पर पहले ही राजनीति से दूर गए हैं। दस साल से 7 साल की सजा कुछ इम्पैक्ट डाल सकती थी क्योंकि उनका उनके इलाकों में सिक्का चलता था पर उम्र कैद से असर पड़ेगा क्योंकि सब जनता है अब ये बाहर नहीं निकलेंगे।
रॉबिन हुड की छवि को भी धक्का अभिषेक त्रिपाठी ने बताया कि मुख्तार माफिया है पर उसकी छवि रॉबिन हुड वाली है क्योंकि गरीबों की मदद करता था। गरीब लड़कियों की शादी, गरीबों के मकान बनवाता था। इसके अलावा इन्साफ के लिए गाजीपुर के ‘फाटक’ में कचहरी भी लगती थी। वोटर उसकी इस छवि से फेसिनेट थे नाकि रंगदारी की छवि से। आम वोटर माफिया का सपोर्ट नहीं करता, तो मुख्तार की इस छवि को भी धक्का लगा है।
नहीं होगा किसी राजनीतिक दल को नुकसान अभिषेक के अनुसार कोर्ट ने समाज को एक सीधा सन्देश दिया है शान्ति का और इसका दूरगामी असर दिखाई देगा। वहीं उन्होंने कहा कि मुख्तार ने कभी एक विचारधारा का समर्थन नहीं किया। कभी सपा तो कभी बसपा का हाथ थामा, कभी अपना दल कौमी एकता बना डाला। इस वजह से किसी राजनीतिक दल को नुकसान नहीं होने वाला है।
मुख्तार गैंग का प्रभाव होगा कम विपक्षी हो सकते हैं हावी क्राइम के ग्राफ पर इस सजा का क्या असर होगा इसपर भी अभिषेक त्रिपाठी ने अपनी बेबाक राय रखी और patrika.com को बताया कि बिहार में भी शहाबुद्दीन की तूती बोलती थी और कोई उसे कुछ नहीं कह सकता है। कहने वाले का पता बदल जाया करता था। ठीक उसी तरह मुख्तार भी था। उसका गैंग इतना सक्रिया था कि मुख्तार को कोई कुछ गलत नहीं कह सकता था। 2014 लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी के खिलाफ उसने अजय राय को समर्थन दिया, जो उसके धुर विरोधी थे मगर कांग्रेस के प्रत्याशी थे ।
एंटी मुख्तार गैंग हो सकता है सक्रीय अभिषेक त्रिपाठी ने एक और शंका जाहिर की उन्होंने कहा कि ‘मुख्तार की सजा के बाद वो गैंग सक्रीय हो सकता है जो मुख्तार का एंटी है। इसपर अंकुश लगाने के लिए सरकार को ख्याल रखना होगा और फुल प्लानिंग के तहत किसी अन्य को नया मुख्तार बनने नहीं देना होगा।