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वाराणसी

NGT की सख्ती बेअसर, सीवर व बाढ़ के पानी में डूबा वरूणा कॉरीडोर

अधिकारियों की लापरवाही से वरूणा में मिला सीवर का पानी, जुर्माने की चेतावनी के बाद भी नहीं सुधर रहे हालात

वाराणसीJul 11, 2019 / 03:07 pm

Devesh Singh

Varuna Corridor in Varanasi

Varuna Corridor in Varanasi

वाराणसी. नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) की सख्ती के बाद भी अधिकारियों की कार्यप्रणाली नहीं बदल रही है। सबसे खराब स्थिति वरूणा नदी की हो गयी है। बाढ़ व सीवर पानी से गुरुवार को वरूणा कॉरीडोर डूब गया है। सीवर का गंदा पानी भी वरूणा नदी में पहुंच गया है। चौकाघाट के पास इतनी स्थिति खराब हो चुकी है कि वहां पर महामारी फैलने के साथ कटान का भी खतरा मंडराने लगा है।
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Varuna Corridor in Varanasi
Devesh Singh IMAGE CREDIT: Patrika
चौकाघाट के बड़े नाले को लिफ्टिंग करके सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) तक भेजा जाना था। पीएम नरेन्द्र मोदी ने खुद ही एसटीपी का उद्घाटन किया था, लेकिन रेलवे की अनुमति नहीं मिलने के चलते कई माह बाद भी चौकाघाट का सीवर को एसटीपी से नहीं जोड़ा जा सका। नतीजन चौकाघाट पुल स्थित वरूणा कॉरीडोर के पास सीवर का पानी एकत्रित होता रहा। सीवर जल के चलते वरूणा कॉरीडोर के पास का एक हिस्सा ध्ंासता जा रहा था और अब बाढ़ आने व सीवर के पानी से वरूणा कॉरीडोर डूब गया। वरूणा कॉरीडोर के डूबे हुए हिस्से में चारों तरफ गंदगी की भरमार है। इसके चलते वहां पर महामारी फैलने व बड़े हिस्से में कटान हो सकती है। वरूणा नदी के किनारे रहने वालों पर भी बड़ा खतरा मंडराने लगा है।
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Varuna Corridor in Varanasi
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एनजीटी ने जुर्माना लगाने की दी है चेतावनी, फिर भी नहीं हो रहा है असर
एनजीटी के पूर्वी यूपी के चेयरमैन जस्टिस डीपी सिंह ने खुद निरीक्षण करके वरूणा नदी के किनारे फेकी जा रही गंदगी व सीवर के पानी को बहते हुए देखा था। अधिकारियों को सीवर के पानी को रोकने, गंदगी हटाने व नदी के किनारे को अतिक्रमण मुक्त करने का सख्त निर्देश दिया था इसके बाद भी अधिकारियों ने एनजीटी को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद एनजीटी ने बनारस नगर निगम व जल निगम को जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है। दो माह के अंदर ठोस कूड़ा नहीं हटाया गया तो 27 लाख का जुर्माना लगेगा। यह चेतावनी वरूणा नदी के साथ असि नदी के लिए भी है। एनजीटी ने कहा कि एक अगस्त 2019 से दो माह के अंदर किनारे की गंदगी साफ नहीं हुई तो प्रतिदिन 10 हजार जुर्माना लगाने की बात कही है। बड़ा सवाल यह है कि वरूणा में अब बाढ़ का पानी आ चुका है। कूड़े का ढेर व सीवर का पानी उसी बाढ़ में बह रहा है। ऐसे में किनारे की गंदगी नदी में बह कर उसे प्रदूषित कर रही है लेकिन उसके रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं जा रहे हैं।
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NGT ने दिया है अतिक्रमण हटाने का भी निर्देश
वरूणा नदी किनारे की जमीन पर हुए अतिक्रमण को लेकर भी एनजीटी बेहद सख्त है। एनजीटी ने अपने निर्देश में कहा कि सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर वरूणा और असि नदियों के अतिक्रमण व सिल्ट को हटाने का प्रस्ताव तैयार करेंगे। वरूणा के उद्गम प्रयागराज से वाराणसी और असि-कंडवा पोखरा तक नहीं के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाया जायेगा। एनजीटी लगातार वरूणा व असि नदियों की सेहत सुधारने का प्रयास कर रही है लेकिन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर इसका असर नहीं पड़ रहा है।
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