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एनजीटी के पूर्वी यूपी के चेयरमैन जस्टिस डीपी सिंह ने खुद निरीक्षण करके वरूणा नदी के किनारे फेकी जा रही गंदगी व सीवर के पानी को बहते हुए देखा था। अधिकारियों को सीवर के पानी को रोकने, गंदगी हटाने व नदी के किनारे को अतिक्रमण मुक्त करने का सख्त निर्देश दिया था इसके बाद भी अधिकारियों ने एनजीटी को गंभीरता से नहीं लिया। इसके बाद एनजीटी ने बनारस नगर निगम व जल निगम को जुर्माना लगाने की चेतावनी दी है। दो माह के अंदर ठोस कूड़ा नहीं हटाया गया तो 27 लाख का जुर्माना लगेगा। यह चेतावनी वरूणा नदी के साथ असि नदी के लिए भी है। एनजीटी ने कहा कि एक अगस्त 2019 से दो माह के अंदर किनारे की गंदगी साफ नहीं हुई तो प्रतिदिन 10 हजार जुर्माना लगाने की बात कही है। बड़ा सवाल यह है कि वरूणा में अब बाढ़ का पानी आ चुका है। कूड़े का ढेर व सीवर का पानी उसी बाढ़ में बह रहा है। ऐसे में किनारे की गंदगी नदी में बह कर उसे प्रदूषित कर रही है लेकिन उसके रोकथाम के लिए कोई उपाय नहीं जा रहे हैं।
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वरूणा नदी किनारे की जमीन पर हुए अतिक्रमण को लेकर भी एनजीटी बेहद सख्त है। एनजीटी ने अपने निर्देश में कहा कि सिंचाई विभाग के चीफ इंजीनियर वरूणा और असि नदियों के अतिक्रमण व सिल्ट को हटाने का प्रस्ताव तैयार करेंगे। वरूणा के उद्गम प्रयागराज से वाराणसी और असि-कंडवा पोखरा तक नहीं के किनारे हुए अतिक्रमण को हटाया जायेगा। एनजीटी लगातार वरूणा व असि नदियों की सेहत सुधारने का प्रयास कर रही है लेकिन अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर इसका असर नहीं पड़ रहा है।
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