उत्तर प्रदेश को मिला 11 जीआई टैग नाबार्ड और ह्यूमन वेलफेयर संस्था के सहयोग से इस वर्ष उत्तर प्रदेश को 11 जीआई टैग मिला है जिसमें वाराणसी परिक्षेत्र (पूर्वांचल) को चार टैग मिला है। इस सम्बन्ध में पद्मश्री जीआई टैग विशेषज्ञ डॉ रजनीकांत ने बताया कि उत्तर प्रदेश के 11उत्पादों को इस वर्ष जीआई टैग प्राप्त हुआ जिसमें 7 उत्पाद ओडीओपी में भी शामिल है और 4 कृषि एवं उद्यान से संबंधित उत्पाद काशी क्षेत्र के हैं, जिसमें बनारसी लंगड़ा आम (जीआई पंजीकरण संख्या-746), रामनगर भंटा (747), बनारस पान (730) तथा आदमचीनी चावल (745) शामिल हैं।
दुनिया के बाजार में जमाएगा धाक पद्मश्री डॉ रजनीकांत ने patrika.com से बात करते हुए बताया कि गर्मी के मौसम में वाराणसी परिक्षेत्र (पूर्वांचल) में होने वाला लंगड़ा आम देश और विदेश के बाजायों में अपनी धाक जमाएगा। उन्होंने बताया कि इस आम के दीवाने देश ही नहीं दुनिया के कई कोने में रहने वाले प्रवासी भारतीय भी हैं। वो भारत इस खास लंगड़े आम की खेप मंगाते रहते हैं लेकिन जीआई टैगिंग के बाद अब इसके निर्यात के रास्ते खुल गए हैं।
कोरोना काल में हुआ था आवेदन पद्मश्री डॉ रजनीकांत ने बताया कि साल 2020 और 21 में कोरोना काल में इन सभी के रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया पूरी कराई गई थी। डॉ रजनीकान्त ने कहा नाबार्ड (राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक) के सहयोग से 20 उत्पादों का जीआई आवेदन किया गया था जिसमें लम्बी कानूनी प्रक्रिया के बाद
44 जीआई टैग प्राप्त हो गए। इनका हुआ रजिस्ट्रेशन नाबार्ड के एजीएम अनुज कुमार सिंह ने बताया कि बनारस लंगड़ा आम के लिए जया सिड्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड, रामनगर भंटा के लिए काशी विश्वनाथ फामर्स प्रोड्यूसर कम्पनी, आदमचीनी चावल के लिए ईशानी एणग्रो प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड चन्दौली तथा बनारस पान (पत्ता) के लिए नमामि गंगे फामर्स प्रोड्यूसर कम्पनी लिमिटेड एवं उद्यान विभाग वाराणसी ने हयूमन वेलफेयर एसोसिएशन एवं नाबार्ड, तथा राज्य सरकार के सहयोग से आवेदन किया था, जिससे यह सफलता प्राप्त हुई और आने वाले 4 माह के अन्दर इन सभी 4 उत्पादों में 4900 से अधिक किसानों का जीआई अथराज्ड यूजर का पंजीकरण कराया जाएगा जिससे वह जीआई टैग का प्रयोग कानूनी रूप से कर सकें और बाजार में नकली उत्पादों को रोका जा सके।
वाराणसी परिक्षेत्र के इन इलाकों में पैदावार होगी मान्य अक्सर आप ने दिल्ली या राजस्थान में बनारसी लंगड़ा आम बेचते लोगों को देखा होगा या किसी के पास बाग भी होगा पर आज के बाद उसे बनारसी लंगड़ा आम कहकर बेचना गैरकानूनी हो जाएगा। पद्मश्री डॉ रजनीकांत ने बताया कि बौद्धिक सम्पदा अधिकार या जीआई टैग इसीलिए होता है कि किसी खास ब्रांड की डुप्लीकेसी न होने पाए।
इन जिलों में हो सकेगी लंगड़ा आम की पैदावार डॉ रजनीकांत ने बताया कि लंगड़ा आम अब वाराणसी परिक्षेत्र के वाराणसी, मिर्जापुर, चंदौली, गाजीपुर, बलिया, जौनपुर, भदोही और सोनबाहड़र के कुछ हिस्सों में ही इसके पेड़लगाए जाएंगे और आम की पैदावार होगी। उन्होंने बताया कि लंगड़ा आम सहरानपुर और पकिस्तान में भी होता है पर अब सिर्फ इस परिक्षेत्र का ही नाम लंगड़ा आम होगा।
बनारसी पान के पत्ते की यहां होगी खेती उन्होंने बताया कि इसके अलावा बनारसी पान के जीआई टैगिंग के बाद बनारस, मिर्जापुर, जौनपुर, आजमगढ़, गाजीपुर बलिया के ही भू-भाग में पैदा किया जाएगा। यदि कोई बनारस में पान पैदा करके उसे बनारसी के नाम पर बेचेगा तो वह गैरकानूनी होगा।
आदम चीनी चावल और रामनगर का भंटा इसके अलावा आदम चीनी चावल सिर्फ चंदौली, बनारस, गाजीपुर और सोनभद्र में ही उगाया जाएगा। इसके साथ ही रामनगर का भंटा सिर्फ बनारस गाजीपुर और चंदौली में उगाया जाएगा।
प्रधानमंत्री का जताया आभार पद्मश्री डॉ रजनीकांत ने इस बड़ी उपलब्धि के लिए प्रधानमंत्री का ध्यन्यवाद किया और कहा की जीआई टैग आत्मनिर्भर भारत में कानूनी रूप से लोकल से ग्लोबल हो रहा है। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश के 45 में से 22 अकेले सिर्फ वाराणसी परिक्षेत्र को जीआई टैग मिला है।