यूपी में बिजली की दरें यथावत, आयोग ने नहीं बढ़ाई बिजली की कीमतें अब प्रयागराज में नयी सेंचुरी मार्च 2020 में डिनोटिफाई फ्रेश वाटर टर्टल सेंचुरी को अब गंगा नदी के प्रयागराज, मिर्जापुर और भदोही के 30 किलोमीटर के दायरे में बनाया जाएगा। हालांकि, गंगा नदी के किनारों पर बसे गांव के लोगों को इस सेंचुरी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। प्रयागराज के कोठरी गांव से भदोही जिले के बारीपुर उपरवार गांव तक इस सेंचुरी को बनाने का प्रस्ताव बनाया गया है।
इसलिए जरूरी हैं कछुए वाराणसी में कछुआ सेंचुरी का महत्व इसलिए है कि कछुए नदी को साफ करते हैं। हरिश्चंद्र घाट और मणिकर्णिका घाट में अंतिम संस्कार के बाद कई बार अधजले शवों को नदी में बहा दिया जाता है। या फिर लोग शवों को नदी में प्रवाहित कर देते हैं। कछुए इन्हें खा जाते हैं। इससे नदी की गंदगी साफ हो जाती है।
कछुओं की 28 प्रजातियां कछुओं की भारत में 28 प्रजातियां पाई जाती हैं। इसमें से 40 प्रतिशत कछुओं को लुप्तप्राय श्रेणी में रखा गया है। वाराणसी के कछुआ सेंचुरी में कभी 13 प्रजातियां थीं अब केवल पांच प्रजातियां बची हैं।
कोरोना के कारण काम ठप प्रयागराज के प्रभारी वन अधिकारी रणवीर मिश्रा कहना है कि कछुआ सेंचुरी के लिए नोटिफाई इलाके में कोरोनो के चलते साल भर से कोई काम नहीं हुआ। जबकि, टर्टल सर्वाइवल अलायंस के प्रिंसिपल साइंटस्टि डॉ. शैलेष सिंह के अनुसार नयी सेंचुरी में कई तरह के कछुए छोड़े जाएंगे। लेकिन, अभी कोरोना की वजह से काम ठप है।