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वाराणसी

यह तीन क्षत्रिय नेता बढ़ायेंगे अखिलेश यादव की परेशानी, आसान नहीं होगा कमी दूर करना

बाहुबलियों के जाने से भी बिगड़ा है समाजवादी पार्टी का गठित, मुलायम सिंह यादव ने सभी समीकरण साध कर यूपी की सत्ता पर जमाया था कब्जा

वाराणसीJul 17, 2019 / 08:08 pm

Devesh Singh

Akhilesh Yadav

Akhilesh Yadav

वाराणसी. समाजवादी पार्टी इस समय अपने सबसे खराब दौर से गुजर रही है। लगातार चुनाव हराने से पार्टी कमजोर हो चुकी है। कभी यूपी की सत्ता के सबसे बड़े दावेदार माने जाने वाले मुलायम सिंह यादव के कभी खास माने जाने वाले लोग तेजी से सपा छोड़ कर जाने लगे हैं। मुलायम सिंह यादव ने सभी समीकरण को जोड़ कर पार्टी को मजबूत बनाया था लेकिन अखिलेश यादव के कमान संभालने के बाद सपा में बिखराव तेज हो गया है, जिससे जल्द नहीं रोका गया तो पार्टी को बड़ा नुकसान उठाना तय है।
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कभी मुलायम सिंह यादव के खास माने जाने वाले पूर्वांचल के तीन क्षत्रिय नेताओं ने पार्टी से किनारा कर लिया है। प्रतापगढ़ के कुंडा से विधायक क्षत्रिय बाहुबली को मुलायम सिंह यादव व शिवपाल यादव का खास माना जाता था। मायावती के शासनकाल में राजा भैया को विभिन्न आरोपों में जेल भेजा गया था। यूपी में सपा सरकार आते ही राजा भैया को बड़ी राहत मिली थी और वह जेल से बाहर आये थे। उसी समय राजा भैया ने कहा था कि मुलायम सिंह यादव उनके राजनीतिक गुरु है लेकिन मुलायम सिंह यादव के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद से हटते ही राजा भैया की सपा से दूरी बढ़ती गयी। बाद में राजा भैया ने खुद अपनी पार्टी बनायी। पूर्वांचल के दूसरे क्षत्रिय नेता का नाम अमर सिंह की कहानी भी कुछ ऐसी है। कभी मुलायम सिंह यादव का संकट मोचन माने जाने वाले अमर सिंह की भी अखिलेश यादव से पटरी नहीं बैठी और उन्हें सपा से बाहर होना पड़ा। अमर सिंह को बड़ा सियासी वजूद नहीं था लेकिन समय आने पर बड़े मामलों को मैनेज करना व अन्य पार्टी के क्षत्रिय नेताओं को सपा से जोडऩे के काम में उन्हें महारत हासिल थी। अमर सिंह के जाने से सपा को अधिक सियासी नुकसान तो नहीं हुआ है लेकिन एक ऐसा विरोधी मिल गया है जो समय-समय पर समाजवार्दी पार्टी को नुकसान पहुंचाने का मौका नहीं छोड़ता। सपा से सबसे अंत में पूर्व पीएम स्वर्गीय चन्द्रशेखर के बेटे नीरज सिंह भी अलग हो गये हैं। मुलायम के घनिष्ठ माने जाने वाले चन्द्रशेखर के बेटे ने सपा के राज्यसभा पद से इस्तीफा देकर पूर्वांचल में पार्टी को बड़ा झटका दिया है। इससे साफ हो जाता है कि सपा के लिए समय बेहद खराब चल रहा है और पूर्वांचल में अब क्षत्रिय वोट बैंक के लिए नये चेहरों पर दांव लगाना होगा।
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अखिलेश यादव ने किया था बाहुबली का विरोध, फिर बसपा के लिए किया चुनाव प्रचार
अखिलेश यादव ने बाहुबली मुख्तार अंसारी की पार्टी कौएद का सपा में विलय का विरोध किया था। इसके बाद शिवपाल यादव व अखिलेश यादव के रिश्ते इतने तल्ख हो गये थे कि चाचा को नयी पार्टी बनानी पड़ी। अखिलेश यादव के विरोध के चलते ही बाहुबली विजय मिश्रा व बाहुबली अतीक अहमद ने सपा का साथ छोड़ा था। लोकसभा चुनाव 2019 में सपा व बसपा ने मिल कर चुनाव लड़ा था। गाजीपुर से बसपा ने मुख्तार अंसारी के भाई अफजाल अंसारी को प्रत्याशी बनाया था। जिस अंसारी के परिवार को लेकर अखिलेश यादव ने नाराजगी जतायी थी उसी अंसारी परिवार के अफजाल अंसारी का चुनाव प्रचार करने खुद अखिलेश गाजीपुर गये थे।
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