इसके बाद कई प्रधानमंत्री बदले और साल 2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार आई और उन्होंने अपनी सरकार में अभी तक कई काम गंगा के निर्मलीकरण और स्वच्छता के लिए किये हैं। क्या गंगा वाकई में स्वच्छ हो गई है या अभी भी उसमे मल-जल मिल रहा है इसपर को खुलकर बोलने को तैयार नहीं है, पर गंगा की दुर्दशा 37 सालों में किसी से छुपी नहीं है।
क्या था राजीव गांधी का गंगा एक्शन प्लान गंगा नदी में प्रदूषण कम करने के लिए गंगा एक्शन प्लान साल 1986 में शुरू किया गया। तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने इसे शुरू किया था और इसका केंद्र वाराणसी बनाया गया था। जानकारों की माने तो इस योजना के तहत, राष्ट्रीय नदी गंगा घाटी प्राधिकरण की स्थापना की गई और गंगा को भारत की राष्ट्रीय नदी घोषित किया गया।
दो भागों में विभाजित था गंगा एक्शन प्लान गंगा एक्शन प्लान को दो चरणों में विभाजित किया गया था। चरण- I 1985 में शुरू हुआ और तत्कालीन तीन राज्यों, उत्तर प्रदेश (यूपी), बिहार और पश्चिम बंगाल (WB) को कवर किया। GAP का दूसरा चरण 1993 में शुरू किया गया था और इसमें सात राज्य शामिल हैं जिनमें उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, पश्चिम बंगाल, दिल्ली और हरियाणा शामिल हैं। दूसरे चरण में इन सभी सहायक नदियों के लिए गंगा एक्शन प्लान परियोजना बनाई गई। दूसरे चरण के लिए इसी कार्यक्रम के तहत राष्ट्रीय नदी संरक्षण योजना शुरू की गई थी।इसमें गंगा की सहायक नदियां जैसे यमुना, महानंदा, गोमती और दामोदर शामिल हैं।
2013 में पीएम ने किया एलान कांग्रेस की सरकारों के आने और जाने के बाद 2014 में केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी सरकार आई। इसके पहले वाराणसी में विजय शंखनाद रैली करने पहुंचे 26 दिसंबर 2013 को तत्कालीन गुजरात के सीएम नरेंद्र मोदी ने 45 मिनट का भाषण दिया जिसमें 20 मिनट सिर्फ गंगा और काशी की दशा पर जोर दिया और वहीं वादा किया कि सरकार आने पर गंगा के लिए सरहानीय और ऐतिहासिक कार्य किए जाएंगे ताकि वो स्वच्छ हो सके।
शुरू हुई नमामि गंगे योजना इसके बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बानी और वो काशी के सांसद हुए। उन्होंने काशी में गंगा की स्वच्छता के लिए स्वयं फावड़ा उठाया और स्वछता संदेश दिया जो आज पूरे विश्व में फैल चुका है। सरकार ने नमामि गंगे योजना शुरू की और नदी वैज्ञानिकों की मानें तो अब गंगा धीरे-धीरे स्वच्छ हो रही है। हाँ अब गंगा का आचमन कर सकते हैं।
काशी में बनाए गए एसटीपी, क्या बंद हुए गंगा में सीवर के मुंह ? शहर में 7 एसटीपी होने के बाद भी कई इलाकों से अब भी नाले का पानी सीधे गंगा नदी में गिर रहा है। इसका कारण शोधन क्षमता कम होना बताया गया है। ऐसे में भगवानपुर में एक और एसटीपी बनाने का निर्णय हाल ही में सरकार ने लिया है। नगवां एवं सामने घाट स्थित नाला समेत रामनगर का चार नाला बंद कर रमना एसटीपी सेे जोड़ा गया है।
गंगा में आज भी गिर रहा है रोजाना 100 MLD सीवर का गंदा जल शहर में हर दिन करीब साढ़े 300 MLD सीवेज निकलता है। अभी तक शहर में केवल 250 MLD ही सीवेज को ट्रीट किया जा रहा है, बाकी 100 MLD सीवेज सीधे गंगा में या बाढ़ के दौरान कॉलोनियों में घुस जाते हैं। शहर में बने 7 एसटीपी सिर्फ 250 एमएलडी ही ट्रीट कर पाते हैं।