Patrika Exclusive : 25 साल की दलित युवा सांसद के लिए ये रास्ता नहीं था आसान, राजनीति में होकर भी झेला भेदभाव
राजनीतिक परिवार में पैदा हुई 25 साल की प्रिया सरोज मछलीशहर संसदीय सीट से निर्वाचित होकर भारतीय संसद की सबसे युवा सांसद बनीं हैं। सुप्रीम कोर्ट में वकालत, राजनीतिक, सामाजिक नजरिए और अपने व्यक्तिगत जीवन पर प्रिया सरोज ने पत्रिका के साथ खुलकर बात की।
चुनाव प्रचार में प्रिया सरोज के बेबाक और निडर अंदाज को खूब पसंद किया गया। प्रिया सरोज ने बताया कि उन्होंने अपने पिता तूफान सरोज को हमेशा अपना आइडल माना और बचपन से ही वो उनके नक्शे कदम पर चलकर संसद में पहुंचने का सपना देखती थी। सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस कर रहीं प्रिया सोशल वर्क के जरिए सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता फैलाना का काम भी कर रहीं थीं।
प्रिया हंसते हुए कहती हैं कि अगर वो राजनीति में नहीं आती तो निश्चित रूप से डांसर या एक्टर बनतीं। उन्हें बचपन से ही डांस और एक्टिंग करने का शौक है। वो शाहरुख खान की दीवानी हैं। इस बातचीत में प्रिया सरोज ने ये भी स्वीकार किया कि कई बार दलित परिवार से होने की वजह से उन्होंने सामाजिक भेदभाव और इससे जुड़ी परेशानियों को महसूस किया है।
मछलीशहर में विकास को लेकर कही ये बात
राजस्थान पत्रिका यूपी के साथ अपने जीवन, राजनीति और अनुभवों पर बात करते हुए प्रिया सरोज ने बताया कि मछलीशहर में विकास के लिए वह हर मुमकिन प्रयास करेंगी। प्रिया कहती हैं कि, चुनाव प्रचार के दौरान जब वो गांव में घूम रही थीं तो लोगों ने अच्छे विधालय, हॉस्पिटल और सड़क ना होने पर नाराजगी जाहिर की थी।
प्रिया ने बताया कि वह जहां भी जाती थीं अपने साथ एक डायरी और पेन लेकर लोगों की समस्याओं को नोट करती थीं। उन्होंने बताया कि जनता ने उन्हें जिता कर अपना काम पूरा कर दिया है अब उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वो भी जनता के उम्मीदों पर खरा उतरें।
पिता की वजह से मिला टिकट
प्रिया ये स्वीकार करने में बिलकुल भी नहीं हिचकती हैं कि इस कम उम्र में संसद में एंट्री उन्हें अपने राजनीतिक परिवार की वजह से मिली है। प्रिया कहती हैं कि उन्हें लोकसभा सीट के लिए समाजवादी पार्टी का टिकट पिता की वजह से मिला। वो चहकते हुए कहती हैं कि जब उन्हें पता चला कि लोकसभा चुनाव के लिए टिकट मिला है तो ये उनके लिए काफी सप्राइजिंग था। प्रिया यूं तो बचपन से ही संसद पहुंचने का सपना देख रहीं थीं लेकिन इन दिनों जज बनने की तैयारी कर रही प्रिया को अंदाजा नहीं था कि वह इतनी कम उम्र में राजनीति में एंट्री कर लेंगी।
उन्होंने बताया कि मेरे पिता और उनके काम की वजह से ही पार्टी ने उनकी बेटी पर भरोसा जताया है और उन्हें 25 साल की कम उम्र में चुनाव लड़ने का मौका दिया। प्रिया सरोज के पिता तूफानी सरोज 1999 से लेकर 2014 तक सैदपुर और मछली शहर लोकसभा से सांसद चुने गए। हालांकि 2014 की मोदी लहर में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। प्रिया कहती हैं कि अब दस साल बाद इस सीट पर जीत हासिल कर उन्होंने अपने पिता के हार का बदला ले लिया है।
संसद प्रिया के लिए मंदिर के समान
प्रिया ने बताया कि दलित होने के कारण उन्हें कई बार मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। प्रिया दावा करती हैं कि दलित होने के कारण उनके दादाजी के साथ गांव में भेदभाव हुआ था जिसकी वजह से उन्हें अपना गांव छोड़ना पड़ा था। प्रिया ने बताया कि चुनाव प्रचार के दौरान कई बार उन्होंने दलित होने की वजह से होने वाले भेदभाव को महसूस किया। उन्होंने कहा कि आज भी समाज में भेदभाव किया जाता है।
प्रिया कहती हैं कि बहुत कुछ देखने के बाद उन्होंने राजनीति में कदम रखा है। उन्होंने कहा कि संसद ही उनके लिए मंदिर है और वह भीमराव अंबेडकर को ही अपना सब कुछ मानती हैं। और ये संविधान ही उनके लिए गीता है। प्रिया दोहराते हुये कहती हैं, “आप एक उंची जाति से ताल्लुक रखते हैं तो आपके पास ज्यादा मौके होते हैं।” प्रिया ने बताया कि जब वह सदन में संविधान की कॉपी लेकर सदन के अंदर जा रही थीं तो ये उनके लिए गर्व का मौका था। 10 साल पहले जब वह अपने पिता के साथ संसद में जाती थीं तो लोग उन्हें उनके पिता के नाम से जानते थे। लेकिन लोकसभा चुनाव जीतने के बाद जब उन्होंने संसद में पहुंची तो लोग उनके पिता को प्रिया के नाम से पहचान रहे थे।
एक्टिंग और डांस में रुचि
प्रिया को राजनीति और पढ़ाई के अलावा डांस और एक्टिंग करना बेहद पसंद है। उन्होंने कथक और फ्री स्टाइल सीखा है और अपने खाली समय में उन्हें डांस करना काफी पसंद है। कॉलेज के वक्त उन्होंने कई कंपेटिशन में भी हिस्सा लिया था। लेकिन पढाई और राजनीति के लिए उन्हें डांस और एक्टिंग का रास्ता छोड़ना पड़ा। प्रिया ने बताया कि अगर वह आज राजनीति में नहीं होती तो शायद वह एक बेहतरीन डांसर और एक्ट्रेस जरूर होतीं। वो कहती हैं, “मुझे शाहरुख खान बेहद पसंद है।”
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