तीतर पक्षी का मूल निवास यूरेशिया है। यह फेसियेनिडाए कुल के अंतर्गत आते हैं, लेकिन अब यह सभी जगह पाए जाते हैं। भारत में इनकी तादात धीरे-धीरे कम हो रही है। तीतर को स्थानीय भाषा में भूरा तीतर के नाम से जाना जाता है। ये ज्यादातर खुले मैदान, घास के मैदान, शुष्क स्थान, खेतों के आस-पास और जंगलों में देखे जाते हैं। इन पक्षियों में नर तीतर को कॉक और मादा तीतर को हेन के नाम से जाना जाता है।
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नर और मादा का वज़न क्रमश: 260 से 340 ग्राम और 200 से 310 ग्राम होता है। नर और मादा तकरीबन एक जैसे दिखते हैं, लेकिन नर के टखने में एक उभार होता है और कभी-कभी दो उभार भी देखे गये हैं। अगर इनके खाने की बात करें तो ये कीड़े-मकोड़े, अनाज के दाने और हरी घास खाते हैं। तीतर पर्वतीय क्षेत्र से ज्यादा खुले मैदानों में रहना पसंद करते हैं।पशु विशेषज्ञों का कहना है कि जंगली तीतर जिसे बन तीतर भी कहा जाता है और जिसका वैज्ञानिक नाम ओर्टिगोर्निस ग्युलैरिस है। लाल पैरों वाले तीतर पक्षियों की कुछ प्रजातियों में से एक हैं जो जीवन भर संभोग करते हैं, तीतर पक्षी 22 अंडे तक दे सकती हैं। यह किसी भी प्रजाति के पक्षी में सबसे अधिक है। तीतर पक्षी अन्य पक्षियों की तरह पेड़ की शाखाओं पर घोंसला नहीं बनाते हैं। यह पक्षी अक्सर मैदानों में रहना ही पसंद करता है, तीतर का औसत जीवनकाल 8 वर्ष होता है। तीतर के अंडे और मांस में विटामिन की मात्रा ज्यादा और कोलेस्ट्रॉल कम होता है।
अंडों को चूजों से निकलने में लगभग 21 दिन लगते हैं। अंडे के अंदर शुरुआत में पीले रंग की जर्दी लिक्विड में मौजूद होती है, जो कुछ दिनों में धीरे-धीरे लाल रंग में बदलते जाती है। यही जर्दी आगे जाकर चूजे का रूप लेती है और फिर 21 वें दिन अंडे के अंदर से चूजे बाहर निकलते हैं। ये पक्षी अपने जन्म के 40 से 45 दिनों में अंडे दे देती है। जन्म लेने के 30 से 35 दिनों में ही तीतर 180 से 200 ग्राम के हो जाते हैं।