यहां के घाट और गंगा आरती देखने की हर किसी को ख्वाहिश होती है। वाराणसी में आध्यात्मिकता की महक हर किसी का मन मोह लेती है। ये नगरी जितनी खूबसूरत है उतने रहस्यों को समेटे हुए है। आज हम आपको काशी के कुछ रहस्यों के बारे में बताएंगे।
काशी से जुड़ी पौराणिक मान्यता के मुताबिक इसे भगवान महादेव के त्रिशूल के ऊपर बसाया गया है। पौराणिक मान्यता के अनुसार हिंदू धर्म की स्थापना काशी में ही हुई थी और काशी हिंदू संस्कृति का केंद्र है।
काशी में मृत्यु सौभाग्य से ही मिलती है। मान्यता है कि यदि काशी में किसी की मौत होती है तो आत्मा पुनर्जन्म के चक्र से मुक्ति मिल जाती है।
बनारस में लोलार्क नाम का जल कुंड है। इस कुंड के पानी का आज तक कोई पता नहीं लगा पाया है कि इसमें पानी कहां से आता है। इसकी चर्चा स्कंद पुराण में भी मिलती है। लोलार्क कुंड में भादौ माह में सूर्य की किरणें पड़ती हैं। मान्यता है कि इस समय जो महिला इस कुंड में नहा लेती उसे संतान सुख मिल जाता है।
बनारस में कदम-कदम पर मंदिर हैं। ये ऐसे ही नहीं है बल्कि इसके पीछे भी एक रहस्य छुपा हुआ, इसका संबंध मानव शरीर से है। कहते हैं बनारस में 7200 मंदिर हैं जो मानव शरीर की नाड़ियों की संख्या के बराबर हैं। कहा जाता है कि बनारस को मनुष्य के शरीर की तर्ज पर बनाया गया है।
हम वाराणसी कई नाम से जानते हैं, लेकिन इसके और भी कई नाम हैं, बनारस को महाशमशान, अविमुक्ता, रुद्रावास और आनंदवन के नाम से भी जानते हैं। कहते हैं बनारस में मरने वाला मोक्ष को प्राप्त करता है, यहां बहुत चिताएं जलाई जाती हैं इसलिए इसे महाशमशान कहते हैं।
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काशी बौद्ध धर्म के पवित्र स्थलों में से एक है। काशी गौतम बुद्ध से संबंधित 4 तीर्थ स्थलों में से एक है। वाराणसी के मुख्य शहर से हटकर ही सारनाथ है। जहां भगवान बुद्ध ने अपना प्रथम प्रवचन दिया था। इसमें उन्होंने बौद्ध धर्म के मूलभूत सिद्दांतों का वर्णन भी किया था।काशी जैन धर्म को मानने वालों के लिए भी पवित्र स्थल है। इसे 23वें तीर्थंकर पार्श्वनाथ का जन्म स्थल माना जाता है। वाराणसी में गंगा के तट पर कई घाट हैं , जो हमेशा श्रद्धालुओं से भरे रहते हैं। बनारस में काल भैरव का मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि काल भैरव के दर्शन के बिना आत्मा को मोक्ष नहीं मिलता है। बता दें, मोक्ष प्राप्ति के लिए काल भैरव के दर्शन किए जाते हैं।