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भारत- अमेरिका के व्यापक वैश्विक भागीदारी को नया आयाम देगा IIT BHU और NSF

कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा विज्ञान से संबंधित संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं पर साथ मिल कर काम करेंगे आईआईटी बीएचयू सहित भारत के 6 प्रमुख प्रौद्योगिकी संसथान। ये आईआईटी बीएचयू के लिए गौरव की बात होगी। दरअसल नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) और टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) ने संयुक्त रूप से भारत-अमेरिका सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यक्रम आरंभ किया है उसी के तहत ये सभी प्रौद्योगिकी संस्थान मिल कर काम करेंगे।

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IIT BHU

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वाराणसी. नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ) और टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (टीआईएच) ने संयुक्त रूप से भारत-अमेरिका सहयोगात्मक अनुसंधान कार्यक्रम आरंभ किया है। इसमें विकास के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा विज्ञान से संबंधित संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं पर कार्य किया जाएगा। इसके लिए देश की छह प्रमुख शैक्षणिक संस्‍थानों आईआईटी-मद्रास, आईआईटी-बॉम्बे, आईआईटी-दिल्ली, आईआईटी-जोधपुर, आईएसआई-कोलकाता के साथ आईआईटी (बीएचयू) भी शामिल है। आईआईटी-बीएचयू स्थित आईडीएपीटी हब फाउंडेशन टीआईएच डीएसटी अंतःविषयक साइबर-भौतिक प्रणाली पर राष्ट्रीय मिशन (एनएम-आईसीपीएस) के तहत भारत सरकार द्वारा समर्थित है। ये सहयोगी शोध, डेटा एनालिटिक्स, प्रेडिक्टिव टेक्नोलॉजीज, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, न्यूरल नेटवर्क्स, एज कंप्यूटिंग आदि जैसे क्रिटिकल एंड इमर्जिंग टेक्नोलॉजीज (सीइटी) पर आधारित हैं ।

कृषि, स्वास्थ्य और जलवायु जैसे मामलों और विकास के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा विज्ञान से संबंधित होगा शोध

इस संबंध में जानकारी देते हुए संस्थान के निदेशक प्रोफेसर प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि हाल ही में आयोजित क्वाड सम्मेलन में भारतीय प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन से मुलाकात की थी। उसी दौरान भारत-अमेरिका व्यापक वैश्विक रणनीतिक साझेदारी में हुई प्रगति और एनएम-आईसीपीएस योजना के तहत गठित छह प्रौद्योगिकी नवाचार केंद्रों में शामिल होने की अमेरिकी योजनाओं के बारे में चर्चा की। इसमें कृषि, स्वास्थ्य और जलवायु जैसे मामलों में और विकास के लिए कृत्रिम बुद्धिमत्ता और डेटा विज्ञान से संबन्धित संयुक्त अनुसंधान परियोजनाओं का समर्थन करना है । व्हाइट हाउस ने हाल ही में प्रधानमंत्री मोदी के साथ राष्ट्रपति बिडेन की बैठक का एक रीडआउट जारी किया है, जिसमें हाल ही में टेक्नोलॉजी इनोवेशन हब (डीएसटी द्वारा समर्थित) और नेशनल साइंस फाउंडेशन (एनएसएफ), यूएसए द्वारा शुरू किए गए यूएस-भारत सहयोगी अनुसंधान कार्यक्रम का जिक्र है।

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आईआईटी बीएचयू, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में ऐसे वैश्विक सहयोग के लिए तत्पर और प्रतिबद्ध

निदेशक प्रो. प्रमोद कुमार जैन ने बताया कि “आईआईटी बीएचयू, विज्ञान और प्रौद्योगिकी में इस तरह के वैश्विक सहयोग के लिए तत्पर और प्रतिबद्ध है। हम दोनों देशों के बीच संकाय और छात्र विनिमय कार्यक्रम, संयुक्त अनुसंधान अध्याय आदि जैसे कार्यक्रमों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। यह आधुनिक युग की समस्याओं को हल करने के लिए उभरती प्रौद्योगिकियों को गति प्रदान करेगा । यह पहल आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, सेमीकंडक्टर, क्वांटम कंप्यूटिंग, बायोटेक, स्पेस आदि के क्षेत्रों में सरकार, शिक्षा और उद्योग के बीच घनिष्ठ संबंध स्थापित करेगी । उन्होंने बताया कि आईडीएपीटी हब फाउंडेशन ने बिजली/ऊर्जा, दूरसंचार, सड़क परिवहन और राजमार्गों और स्वास्थ्य सेवा के अनुप्रयोग क्षेत्रों में डेटा एनालिटिक्स और प्रेडिक्टिव टेक्नोलॉजीज पर इस संयुक्त शोध पहल के लिए एक करोड़ रुपये तक की वित्तीय सहायता की प्रतिबद्धता जताई है ।

डेटा एनालिटिक्स और प्रेडिक्टिव टेक्नोलॉजी से संबंधित सभी ज्ञान और सूचनाओं का एकल बिंदु स्रोत बनने को प्रतिबद्ध

अधिष्ठाता (अनुसंधान एवं विकास), प्रो. विकास कुमार दूबे ने कहा “आईआईटी बीएचयू, डेटा एनालिटिक्स और प्रेडिक्टिव टेक्नोलॉजी से संबंधित सभी ज्ञान और सूचनाओं का एकल बिंदु स्रोत बनने के लिए प्रतिबद्ध है । हम प्रमुख सामाजिक समस्याओं को हल करने के लिए डीएपीटी के विकास की दिशा में सहानुभूतिपूर्वक काम करने के लिए सभी शोधकर्ताओं, संस्थानों, उत्कृष्टता के अन्य केंद्रों से जुड़ने की कोशिश कर रहे हैं ।"

एनएसएफ-टीआईएच सहयोग स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, विनिर्माण, दूरसंचार, स्मार्ट शहरों में सीइटी के उपयोग का पता लगाएगा

आई-डीएपीटी हब फाउंडेशन के परियोजना निदेशक प्रो. राजीव प्रकाश ने कहा कि महत्वपूर्ण और उभरती हुई प्रौद्योगिकी दैनिक जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं और आर्थिक विकास में बहुत योगदान देती हैं। एनएसएफ-टीआईएच सहयोग स्वास्थ्य, कृषि, ऊर्जा, विनिर्माण, दूरसंचार, स्मार्ट शहरों आदि में सीइटी के उपयोग का पता लगाएगा । डॉ. आर.के. सिंह, आईडीएपीटी हब फाउंडेशन के समन्वयक ने बताया कि देशभर के शोधकर्ताओं से आवेदन आमंत्रित किए गए थे, जिन्हें वर्तमान में पात्रता और योग्यता के लिए संयुक्त रूप से जांचा जा रहा है। उन्होंने कहा कि इस तरह की पहल से द्विपक्षीय सीइटी अनुसंधान के अवसरों और चुनौतियों पर चर्चा को बढ़ावा मिलेगा।