दरअसल, 31 जनवरी को वाराणसी जिला जज की कोर्ट का शाम 3 बजे फैसला आया। फैसले के कुछ घंटों बाद ही पूजा के सारे इंतजाम किए गए। इस दौरान काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य पुजारी ओम प्रकाश मिश्रा और रामलला के प्राण प्रतिष्ठा का शुभ मुहूर्त निकालने वाले गणेश्वर द्रविड़ ने का पूजा कराने में अहम योगदान रहा। करीब 12 बजे के बाद परिसर में विधि विधान से पूजा संपन्न हुई। इसके बाद वहां मौजूद लोगों को चरणामृत और प्रसाद भी दिया गया।
31 साल बाद जले दीप
ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे रिपोर्ट में हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां मिली है। इसके साथ ही, ASI की सर्वे रिपोर्ट में हिंदू मंदिर होने के कई अहम सबूत मिले हैं। आपको बता दें कि साल 1993 तक लोग यहां पूजा करने आते थे, लेकिन नवंबर 1993 में मुलायम सिंह यादव की सरकार ने इसे बंद करा दिया था। इसके साथ ही, यहां पूजा करने वाले पुजारियों को भी हटा दिया गया था।