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चीफ फूड सेफ्टी आफिसर संजीव सिंह का कहना है कि हम लोग समय-समय पर दूध के नमूने की जांच करते थे लेकिन डिटर्जेंट मिला दूध अभी तक नहीं मिला था। पहली बार मुरैना से एक टैंकर सिंथेटिक होने की जानकारी थी चारों दूध के नमूने खराब मिले थे। रोका गया दूध अब नष्ट किया जा रहा है घी व क्रीम के नमूने भी लिये गये हैं। दूध में डीटर्जेंट मिलने की बात सामने आयी है।
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डिटर्जेंट से बने दूध से बच्चों के स्वास्थ्य पर सबसे अधिक खराब असर पड़ता है। दूध को ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक खपाया जाता था। यही दूध बच्चे पीते थे और इसी दूध से चाय व अन्य चीजे भी बनायी जाती थी, जिससे लोगों का स्वास्थ्य खराब हो सकता था। खाद्य विभाग ने कार्रवाई करते हुए डिटर्जेंट मिले दूध को नष्ट तो कर दिया है लेकिन बड़ा सवाल यह है कि दूध का यह काला कारोबार और कितनी जगह पर चल रहा है।
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