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सीएम योगी आदित्यनाथ ने समीक्षा बैठक में शाही नाले की सफाई, एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) में कनेक्शन नहीं होना आदि को लेकर हमेशा की तरह नाराजगी जतायी। कहा कि इन चीजों की फर्जी रिपोर्टिंग हो रही है। बीच बैठक में जल निगम के अधिकारियों को खड़ा भी कर दिया और कहा कि तेज से गति से काम करके योजना को पूरा कराया जाये। साथ ही दुबारा गलत रिपोर्टिंग नहीं करने की चेतावन भी दी। साफ है कि सीएम योगी आदित्यनाथ ने खुद माना कि अधिकारी उन्हें योजनाओं को लेकर गलत जानकारी दे रहे हैं इसके बाद भी किसी पर कार्रवाई नहीं हुई।
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बसपा सुप्रीमो मायावती की सबसे अधिक हनक अधिकारियों पर दिखती थी। बतौर मुख्यमंत्री रहते हुए जब उनके किसी जिले में निरीक्षण की जानकारी अधिकारियों को मिली थी तो सभी लोगों की नीद उड़ जाती थी। तत्कालीन सीएम मायावती गड़बड़ी मिलने पर मौके पर ही कार्रवाई करती थी। अखिलेश यादव ने सीएम रहते हुए बनारस का कम निरीक्षण किया था लेकिन जब भी आये तो उन्हें ऐसी दुव्र्यवस्था का सामना नहीं करना पड़ता था जितना सीएम योगी को करना पड़ता है। यूपी के सहारे लोकसभा चुनाव 2019 में राहुल गांधी, अखिलेश यादव व मायावती के महागठबंधन को पटखनी देने का सपना देख रही बीजेपी अब बनारस में घिरने लगी है। यूपी के सीएम जब पीएम नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र की ही स्थिति नहीं सुधार पा रहे हैं तो अन्य जिलों की क्या हालत होगी। पीएम नरेन्द्र मोदी ने जनवरी में बनारस में प्रवासी सम्मेलन का आयोजन किया है, जिसके लिए शहर को तैयार करना अब अधिकारियों के लिए कड़ी चुनौती है।
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