सेंट्रल जेल में प्रदेश भर से कैदी बंद है। अधिकांश कैदियों पर हत्या का आरोप साबित हो गया है और वह उम्रकैद काट रहे हैं। जेल प्रशासन ऐसे कैदियों को रोजगार से जोडऩे के लिए कई व्यवस्था की है। इसी में एक बागवानी भी है। इस काम के कुल 10 कैदियों को लगाया गया है। इन कैदियों की जिम्मेदारी पौधा लगाने से लेकर उनकी रक्षा करने की होती है। चार कैदी का काम फूल तोड़ कर माला बनाने को है। कैदियों के लिए यह आम आर्थिक आय का साधन नहीं है उनकी माने तो वह प्रभु के मंदिर जाकर अपनी बनायी माला नहीं चढ़ा सकते हैं इसलिए जेल में तैयार माला को काशी विश्वनाथ मंदिर में भेजते हैं। भले ही यह दूसरों हाथों से प्रभु के चरण में पहुंचती है लेकिन हमारे लिए खुशी की बात यही होती है कि हमारी बनायी गयी माला भगवान के पास पहुंच गयी। प्रतिदिन हम भगवान से अपने किये हुए कर्म की माफी मांगते हैं ताकि इसी जीवन में किया गया सबसे बड़ा गुनाह माफ हो सके। सावन के सोमवार को सेंट्रल जेल की गौशाला से दूध भी काशी विश्वनाथ के लिए जाता है और गौशाला की सेवा की जिम्मेदारी भी बंदियों की होती है। सेंट्रल जेल के डिप्टी जेलर धीरेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि हम लोगों का उद्देश्य कैदियों को समाज की मुख्यधारा से जोडऩा है। नियमानुसार कैदियों की जितनी मदद की जा सकती है वह करते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर में सेंट्रल जेल के कैदियों की बनायी गयी माला जाती है। कैदियों का इस काम करने में बहुत खुशी होती है वह जेल की चहारदीवारी से ही इसी माध्यम से प्रभु की अराधना कर लेते हैं।
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