वास्तु टिप्स (Vastu Tips)
हिंदू धर्म में 33 कोटि देवी-देवता है। हम ईश्वर की भक्ति करने के लिए घर के मंदिर में देवी-देवता की मूर्ति स्थापित करते हैं लेकिन कुछ देवी-देवता की मूर्ति घर के मंदिर में नहीं रखनी चाहिए। वास्तु के अनुसार घर में देवी-देवता की तस्वीरें रखते समय नियमों का जरूर पालन करना चाहिए। घर के उत्तर-पूर्व कोने में भगवान का मंदिर स्थापित करना सबसे अच्छा माना जाता है। लेकिन कुछ ऐसी तस्वीरें है जिन्हें कभी भी पूजा घर में नहीं रखना चाहिए। आइए जानते हैं वास्तु के अनुसार कौन सी तस्वीरें नहीं रखनी चाहिए। यह भी पढ़ेः विवाह में आ रहीं रुकावटें, तो सोमवार को करें ये अचूक उपाय शनिदेव की तस्वीर (Picture Of Shanidev)
वास्तु शास्त्र के अनुसार घर के पूजा घर में कभी भी शनि की तस्वीर नहीं रखना चाहिए। क्योंकि शनि भगवान की आंखों को देखने से व्यक्ति के जीवन में कई तरह के कष्टों के साथ शनि दोष लग जाता है। इसलिए शनि के प्रकोप से बचने के लिए घर में शनि देव की तस्वीर न रखें।
न रखें काली मां की तस्वीर (Do not keep the picture of Kali Maa)
वास्तु शास्त्र के अनुसार, पूजा घर में कभी भी मां काली की तस्वीर नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि मां काली दुर्गा माता का विध्वंसक रूप है जो हमेशा क्रोध रूप में होती है। मां काली की पूजा तंत्र साधना में अधिक की जाती है। इसलिए इस तरह की तस्वीर पूजा घर में नहीं रखनी चाहिए।
नटराज की तस्वीर (Picture Of Nataraja)
वास्तु शास्त्र के मुताबिक, घर में कभी भी नटराज की मूर्ति नहीं रखनी चाहिए। क्योंकि नटराज की मूर्ति या तस्वीर भगवान शिव का तांडव नृत्य मुद्रा के रूप में है जो विनाश का कारक माना जाता है। इसलिए नटराज की मूर्ति घर में रखने से नकारात्मक ऊर्जा बढ़ जाती है और परिवार के सदस्यों के बीच के रिश्तों में खटास बढ़ जाती है। देवी-देवताओं की मूर्ति तो हम घर के मंदिर में रख लेते हैं। लेकिन इस दौरान हमें कुछ मूर्तियों की मुद्राओं का भी खास ध्यान रखना चाहिए। ध्यान रखें कि घर में हमेशा भगवान गणेश और मां लक्ष्मी की बैठी हुई मुद्रा वाली मूर्ति ही रखनी चाहिए। मंदिर में देवी-देवताओं की मूर्तियां खड़ी या किसी अन्य स्थिति में रखना अशुभ माना जाता है।
यह भी पढ़ेः शनिवार को करें काले तिल के ये 5 उपाय, घर में आती है सुख-समृद्धि कालभैरव की तस्वीर (Picture of kaalbhairav)
काल भैरव की मूर्ति भी घर के पूजा मंदिर में नहीं रखना चाहिए। काल भैरव शिव के रौद्र स्वरूप हैं, तंत्र विद्या में इनकी पूजा अधिक की जाती है।
डिस्क्लेमरः इस आलेख में दी गई जानकारियां पूर्णतया सत्य हैं या सटीक हैं, इसका www.patrika.com दावा नहीं करता है। इन्हें अपनाने या इसको लेकर किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले इस क्षेत्र के किसी विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें।