मां भगवती का पंडाल कुल 52 कारीगरों ने मिलकर बनाया है। इसमें से 42 कारीगर करीब 1 साल से जुड़े हुए हैं लेकिन 10 करीगर बाद में लाए गए हैं। वें 10 करीगर बंगाल से आए हैं जिन्हें बंगाली के सिवा कुछ नहीं आता है लेकिन ऊंचाई का पंडाल बनाने में उन्हें महारत हासिल है। विश्व का सबसे ऊंचा पंडाल बनाने में इन कारीगरों को करीब 1 साल का समय लगा है।
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असम से मंगवाएं गए हैं बांसउत्सव संस्था के चेयरपर्सन सौरभ का कहना है कि विश्व का सबसे ऊंचा पंडाल बनाने के लिए हमें लंबा बांस की आवश्यकता थी जोकि 32 से 34 फीट लंबे बांस चाहिए था लेकिन इतनी ऊंचाई के बांस यूपी में मिल पाना अंसभव था। तब हमने खोजना शुरू किया और असम में इतना लंबा बांस मिला। इसके बाद हमने 6 माह पूर्व ही बांस का आर्डर दे दिया । इस पंडाल बनाने में कुल 12 हजार बांस लगे हुए हैं । सबसे दिक्कत बांस के साथ यह हुई कि इतना लंबा सीधा नहीं था जोकि ऊपर से मुड़े हुए थे बाद में सीधा में बहुत दिक्कत हुई ।
सौरव बंद्योपाध्याय ने बताया कि यह पंडाल बिल्कुल चन्द्रोदय मंदिर जैसा नजर आएगा। इस पंडाल को भूकम्प रोधी बनाया गया है। इसे बनाने में लगातार इस बात का ध्यान रखा गया है कि यह पूरी मजबूती के साथ खड़ा रहा। इसके बगल में दो छोटे छोटे पंडाल बनाए गए हैं। अगर भूकंप भी आ जाये तो वें दोनों छोटे पंडाल गिर सकते हैं लेकिन यह पंडाल नहीं गिर सकता है ।
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पंडाल को तोड़ने में 20 दिन का समय लगेगाबंदोपाध्याय दुखी होकर बताते हैं कि आने वाली 5 तारीख को दशहरे के दिन सबसे ज्यादा उन्हें दुख होगा क्योंकि वह अपने हाथों से इस पंडाल के सबसे ऊपरी हिस्सा को तोड़ेगे। इसे तोड़ने में कुल 20 दिन लगेगा और बनाने में 1 साल का समय लगा है।
इससे पहले 135 फीट ऊंचाई का पंडाल 2021 में पश्चिम बंगाल के लेकटाउन में बनाया गया था। जो देखने में एकदम से दुबई का बुर्ज खलीफा लगता था। लेकिन एयर ट्रैफिक कंट्रोल से परमीशन न मिलने की वजह से, इसमें लाइटिंग नहीं हो पाई और इसे अगले ही दिन बंद करना पड़ा।