इतिहासकार, पुरातत्व विद और शोधकर्ता डॉ. आरसी ठाकुर के अनुसार गुफा से निकला यह रास्ता करीब 300 साल पुराना है।
उन्होंने इसे पेशवा बाजीराव प्रथम के कार्यकाल से संबंधित बताया। अश्विनी शोध संस्थान के प्रमुख डॉ. आरसी ठाकुर ने मौके पर जाकर रास्ते की गहराई से जांच-पड़ताल की है। उनका यह भी कहना है कि गुफा के इस रास्ते का ऐतिहासिक महत्व है।
यह भी पढ़ें : अंबानी को धमकी, स्टांप पेपर पर लिखा- मेरा अगला टारगेट मुकेश धीरूभाई अंबानी… उज्जैन में पुरातात्विक महत्व का यह रास्ता खुदाई के दौरान दिखाई दिया। एक चबूतरा बनाने के लिए की जा रही खुदाई के दौरान गुफा का सा आकार नजर आया। पास से देखने पर यहां से रास्ता नजर आ रहा है। लोगों का कहना है कि यह विशाल सुरंग है। पुरातात्त्विक नजरिए से महत्वपूर्ण यह सुरंग जगोटी पंचायत भवन और आयुर्वेद औषधालय के बीच मिली है।
यह भी पढ़ें : बड़ी खबर- 10 वीं, 12 वीं परीक्षाओं का टाइम टेबिल जारी, अगले साल 25 फरवरी से शुरू होंगे बोर्ड एग्जाम्स जैसे ही लोगों को यह सुरंग दिखी, तुरंत पुरातत्व विभाग को इसकी सूचना दी गई। विभागीय अधिकारियों ने मौके पर आकर यह गुफा जैसा रास्ता देखा जिसे लोग सुरंग बताते रहे। हालांकि अधिकारियों ने अभी कुछ भी कहने से इंकार कर दिया है पर इसके महत्व को देखते हुए प्रतिवेदन भोपाल भेजा गया है। बताया जा रहा है कि सुरंग या गुफा के इस रास्ते की विस्तृत जांच की मांग की गई है।
इधर डॉ. आरसी ठाकुर बताते हैं कि पेशवा बाजीराव प्रथम ने 1734 में मालवा का बंटवारा कर होल्कर और सिंधिया राजवंश को दो-दो हिस्से व पंवार वंश को एक हिस्सा दिया था। गौतम बाई को महिदपुर और जगोटी भेंट किया गया था। इस गुफा जैसे रास्ते की वैज्ञानिक जांच से ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर को नई दिशा मिलने की उम्मीद है।