पंचमुखारविंद शृंगार में पुजारी भगवान महाकाल को एक साथ पांच मुखारविंद धारण कराते हैं। जिसके बाद बाबा महाकाल अपने भक्तों को छबीना, मनमहेश, उमा-महेश, होलकर और शिवतांडव रूप के एक साथ दर्शन देते हैं।
यह भी पढ़ें- मोहन कैबिनेट की अहम बैठक आज, लोकसभा चुनाव से पहले हो सकते हैं ये बड़े फैसले
महाकाल मंदिर की परंपरा अनुसार, फाल्गुन कृष्ण पंचमी से फाल्गुन कृष्ण त्रयोदशी महाशिवरात्रि तक 9 दिन शिव नवरात्र उत्सव मनाया जाता है। इन्हीं 9 दिनों में पुजारी भगवान महाकाल का नित्य नए स्वरूप में अलग-अलग शृंगार करते हैं।
यह भी पढ़ें- महाकाल दर्शन करने जा रहे हैं तो सावधान! यहां बेखौफ घूम रहे हैं जेबकट, कहीं आप न हो जाएं इनके शिकार
शिव नवरात्र के इन नौ दिनों में, जो भक्त भगवान के विभिन्न स्वरूपों के दर्शन नहीं कर पाए हैं, वे सोमवार को संध्या से शयन आरती तक भगवान महाकाल के पंचमुखारविंद के दर्शन कर सकते हैं। पीआरओ गौरी जोशी ने बताया सोमवार शाम पांच बजे संध्या पूजन के बाद पुजारी भगवान का एक साथ पांच रूपों में शृंगार करेंगे। भक्तों को रात 10.30 बजे शयन आरती तक पंचमुखारविंद दर्शन होंगे।