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Ayodhya Ram Temple : कार सेवकों की गुहार- बाबरी विध्वंस में हमारी बड़ी भूमिका, हमें तो बुलाए सरकार

मध्य प्रदेश के कार सेवकों ने लगाई सरकार से गुहार, बाबरी मस्जिद ढहाने में हमारा महत्वपूर्ण योगदान था। मूर्ति स्थापना दिवस पर हमें भी बुलाया जाए।

उज्जैनJan 03, 2024 / 10:25 pm

Faiz

Ayodhya Ram Temple news

Ayodhya Ram Temple : कार सेवकों की गुहार- बाबरी विध्वंस में हमारी बड़ी भूमिका, हमें तो बुलाए सरकार

22 जनवरी 2024 को अयोध्या में स्थित राम मंदिर का प्राण प्रतिष्ठा आयोजन होने जा रहा है। प्रधानमंत्री मोदी द्वारा श्री रामलला की मूर्ति का लोकार्पण किया जाएगा। आयोजन को लेकर देश-विदेश से हजारों मेहमानों को बुलाया जा रहा है। ऐसे में अबतक आयोजन का आमंत्रण न मिलने पर देश की कई हस्तियों में नाराजगी है तो वहीं बाबरी विध्वंस में शामिल कई कार सेवकों ने भी सरकार से प्राण प्रतिष्ठा आयोजन के लिए बुलावा देने की गुहार लगाई है। दरअसल, मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के तराना में रहने वाले कार सेवकों ने सरकार को याद दिलाया है कि 1992 में बाबरी मस्जिद को ढहाने में उनका महत्वपूर्ण योगदान था। इसलिए मूर्ति स्थापना के अवसर पर उन्हें भी आमंत्रित किया जाए।

 

6 दिसंबर 1992 को पूरे भारत से कार सेवक अयोध्या में स्थित बाबरी मस्जिद को ढहाने पहुंचे थे। उस समय मध्य प्रदेश के उज्जैन जिले के अंतर्गत आने वाले तराना से हिन्दू सिंह गुर्जर, ईश्वर सिंह गुर्जर समेत 200 से अधिक लोग कार सेवा में शामिल होकर बाबरी मस्जिद का ढांचा गिराकर रामलला को सुरक्षित निकालकर पास में स्थित नीम के पेड़ के नीचे स्थापित करने पहुंचे थे। अब जब रामलला का भव्य मंदिर बन गया है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और सीएम योगी आदित्यनाथ 22 जनवरी को उसका उद्घाटन करने वाले हैं, ऐसे में एक बार फिर तराना से सभी कार सेवक उदघाटन समारोह में हिस्सा लेने पहुंचना चाहते हैं।

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मीडिया से चर्चा के दौरान हिन्दू सिंह गुर्जर ने कहा कि दिसंबर 1992 में वो अयोध्या में कार सेवकों के साथ पहुंचे थे और लगातार 10 दिन वहां प्रवचन में हिस्सा लेने के बाद सरयू नदी के किनारे बालूरेत लेकर रामलला के मंदिर पहुंचे और बाबरी मस्जिद की तीन दिवारों को फांदते हुए मुख्य द्वार तक पहुंचे, जहां रामलला विराजित थे। वहां पहुंचने पर गार्ड ने रामलला के बाबरी मस्जिद के मलबे में दब जाने की आशंका जताते हुए उनको वहां से बाहर निकालने के लिए कहा, तब हम ही लोगों ने रामलला को वहां से सुरक्षित उठाकर पास के एक नीम के पेड़ के नीचे स्थापित किया था।

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हिन्दू सिंह गुर्जर ने ये भी बताया कि इसके बाद उन्होंने रामलला के पास रखे कलश से पानी पिया और यहीं से सीधे सभी कार सेवकों के साथ वो बाबरी मस्जिद के ढांचे पर चढ़े और उसे ढहाया। उन्होंने बताया कि उस दौरान उन्हें और उनके कुछ साथियों को चोटें भी आईं थीं, जिसके चलते उन्हें फैजाबाद के अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां से इलाज कराने के बाद एक बार फिर स्थानीय प्रशासन ने उन्हें फिर से बाबरी ढांचे के पास छोड़ दिया। उन्होंने कहा कि रामलला का भव्य मंदिर अब बन गया है, जिसका उद्घाटन होने जा रहा है। ऐसे में तराना से हम सभी कार सेवक एक बार फिर रामलला के दर्शन के लिए अधिक से अधिक संख्या में वहां पहुंचेंगे।

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