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सियाचिन से 27 हजार फीट ऊपर ग्लेशियर पर थी ड्यूटी
शहीद बादल सिंह नागदा के रामसहाय मार्ग पर रहते थे और सेना में साल 2004 में भर्ती हुए थे। बताया जा रहा है वो 17 साल की अपनी सेवाएं सेना में पूरी कर चुके थे और बीते साल 31 दिसंबर को ही सेना ने उन्हें एक्सटेंशन पर प्रमोट किया था। एक्सटेंशन के बाद जवान बादल सिंह की ड्यूटी सियाचिन से 27 हजार फीट ऊपर ग्लेशियर पर थी। बीती रात साढ़े दस बजे के करीब परिजन को ये सूचना दी गई कि जवान बादल सिंह अचानक बर्फ धंसने के कारण गंभीर घायल हो गए हैं। परिजन बादल सिंह की सलामती की दुआ कर रहे थे इसी बीच गुरुवार सुबह फोन पर बादल सिंह के शहीद होने की सूचना उन्हें मिली।
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जनवरी में आए थे घर
2004 में सेना में भर्ती होने वाले जवान बादल सिंह की पहली पोस्टिंग रानीखेत में हुई थी। बाद में बादल सिंह ढ़ाई साल तक शांति सेना में शामिल हुए थे और दक्षिण अफ्रीका में भी अपनी सेवाएं दीं। 15 कमाऊं रेजिमेंट में नायक बादल सिंह इसी साल जनवरी के महीने में छुट्टियों पर अपने घर लौटे थे और 13 फरवरी को फिर से घर से देश की सेवा के लिए चले गए थे। परिजनों ने बताया कि बादल सिंह की शादी साल 2017 में हुई थी और उनका एक साढ़े तीन साल का बेटा विवान भी है।
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कल या परसों पर पार्थिव देह गृहनगर पहुंचेगी
बताया जा रहा कि आज सुबह बादल सिंह की पार्थिव देह को सियाचिन चौकी से नीचे लाया गया है। जहां से उसे दिल्ली और फिर वहां से इंदौर लाया जाएगा। पार्थिव देह को इंदौर लाने के बाद महू रेजिमेंट और फिर उसके बाद उनके गृहनगर नागदा लाया जाएगा। उम्मीद जताई जा रही है कि कल या परसों (शुक्रवार या शनिवार) तक शहीद बादल सिंह की पार्थिव देह गृहनगर नागदा पहुंचेगी।
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