चंदन से महका पूरा दरबार
भोग आरती में शंख-झालर और डमरुओं की गूंज होती है। उनकी महिमा बड़ी ही निराली है। भगवान महाकाल का आंगन जयकारों से गूंजता है। बिल्व पत्र और चंदन से पूरा दरबार महकता है। भस्म आरती के बाद सुबह 10.30 बजे भोग आरती के दर्शन होते हैं। भोलेनाथ भगवान महाकाल अपने भक्तों को अलौकिक स्वरूप में दर्शन देते हैं। चंदन-ड्रायफ्रूट आदि से उन्हें सजाया जाता है। शृंगार भी ऐसा कि देखते ही मन आनंदित हो जाए।
त्रिनेत्रधारी की महिमा बड़ी न्यारी
गले में पुष्पों का हार सुशोभित था, तो त्रिपुंड व त्रिनेत्र से मुखारविंद दमक रहा था। भोलेनाथ को जल-दूध, दही और चंदन से स्नान के बाद पंचामृत पूजन किया गया। राजाधिराज महाकाल का मनभावन शृंगार हुआ। ज्योतिर्लिंग पर चंदन से आकर्षक स्वरूप बनाया गया, भक्तों ने इस निराले रूप के दर्शन किए तो पूरा हॉल जयकारों से गूंज उठा।
भांग-ड्रायफ्रूट से शृंगार
बिल्व पत्रों और फूलों के हार से सजाया गया। यह रूप भक्तों को हर पल आनंदित करता है। प्रतिदिन अनूठे शृंगार होते हैं। भस्मी रमाने वाले बाबा महाकाल को पहले जल-दूध से स्नान कराया, इसके बाद भस्मी रमाई। भांग और ड्रायफ्रूट का शृंगार किया जाता है। उनके मुख पर चंदन का त्रिपुंड तो गले में पुष्पों की माला शोभा बढ़ा रही थी। तरह-तरह के सूखे मेवे भी शृंगार में उपयोग किए जाते हैं। बाबा का यह रूप बड़ा ही मनोहारी होता है। विविध प्रकार के शृंगारों में भांग शृंगार सबसे अनूठा और खास माना जाता है।
धन-धान्य का देते हैं आशीर्वाद
तन पर भस्मी लगाते हैं और मृगछाला ओढ़कर भक्तों को धन-धान्य का आशीर्वाद देते हैं। बाबा महाकाल त्रिपुरारी का स्वरूप बड़ा ही मनोहारी है। भक्तों को आशीर्वाद देते हैं। उनके कई रूप हैं, सभी झलक पाने को आतुर रहते हैं। हमेशा श्रद्धालुओं की भीड़ मंदिर में उमड़ती है। जब भोले भस्मी रमाए बैठते हैं, तो उनका स्वरूप बड़ा ही मनोहारी नजर आता है। सुबह भस्मी से स्नान करते हैं। गर्भगृह में चारों तरफ भस्मी फैली होती है। जिससे ऐसा लगता है, मानों भक्त बाबा के हिमालय पर्वत पर दर्शन कर रहे हों। बाबा अनेक रूपों में भक्तों को दर्शन देकर धन्य करते हैं। महाकाल मंदिर में अनेक छोटे-बड़े मंदिर हैं। इनके दर्शन के लिए भी श्रद्धालु पहुंचते हैं।
सुंदर आकृति से किया शृंगार
हर दिन सुबह 10.30 बजे नियमित बालभोग आरती झांझ-डमरू, शंख-नगाड़ों के साथ होती है। भोग आरती में सुंदर आकृति से शृंगार किया गया। भोले को बिल्व पत्रों से सजाया गया। उनके भोग में लड्डू और पकवान रखे जाते हैं। वे बड़े ही जतन से भोग लगाते हैं। बाबा महाकाल की शंख-झालर और डमरू के साथ बाबा की आरती हुई। पंडे-पुजारी इनका अनोखा शृंगार करते हैं। फिर बाबा महाकाल को नैवेद्य का भोग अर्पण किया जाता है। भोग आरती में बाबा कुछ इस अंदाज में नजर आए।