उज्जैन के महाकाल मंदिर में कोरोना काल के चलते सीमित संख्या में श्रद्धालुओं को आने की अनुमति दी गई थी। यहां 25 हजार श्रद्धालुओं को ही प्रवेश दिया गया। यह एकमात्र ज्योतिर्लिंग है, जो दक्षिणमुखी है। यही एकमात्र ज्योतिर्लिंग है जहां भस्म आरती होती है।
नियमों का पालन जरूरी
इस बार प्रशासन और मंदिर समिति ने बाबा के दर्शन करने आने वालों के लिए विशेष व्यवस्था की है। श्रद्धालुओं को करीब एक से डेढ़ किलोमीटर पैदल भी चलना पड़ रहा है। प्रशासन ने अधिक से अधिक 25 हजार श्रद्धालुओं को ही आने की अनुमति दी है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन और मास्क लगाना अनिवार्य है। मंदिर में प्रवेश से पहले सेनेटाइजेशन की भी व्यवस्था की गई है।
ओंकारेश्वर में भी उमड़ी भीड़
इधर, नर्मदा के तट पर स्थित ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के दर्शन करने भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ी। यहां लोगों ने गुरुवार सुबह पहले नर्मदा में डुबकी लगाई उसके बाद मंदिर में जल चढ़ा रहे हैं। यह क्रम सुबह से चल रहा है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन यहां भी किया जा रहा है।
यहां करें ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग के लाइव दर्शन
https://shriomkareshwar.org/HLiveDarshan.aspx
भोजपुर मंदिर में भी चल रहे हैं दर्शन
रायसेन जिले में भोजेश्वर मंदिर है, जिसो मध्य भारत का सोमनाथ कहा जाता है। यहां भी सुबह से श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला शुरू हो गया है। यहां हर साल मेला लगता है, लेकिन इस बार यहां मेला नहीं लगाया गया है। श्रद्धालुओं का आने का सिलसिला सुबह से चल रहा है। यहां शाम तक बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं। एक अनुमान के मुताबिक सुबह से लेकर शाम तक यहां करीब 30 हजार से 50 हजार की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।
पचमढ़ी में भक्तों का मेला
होशंगाबाद जिले के पचमढ़ी में स्थित जटाशंकर धाम और चौरागढ़ धाम पर भी भक्तो का मेला लग गया है। यहां हर साल महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में लोग दर्शन करने आते हैं। इस बार जरूर भीड़ कम है, लेकिन फिर भी श्रद्धालुओं में उत्साह देखा जा रहा है। जटाशंकर धाम के बारे में बताया जाता है कि भस्मासुर से बचने के लिए शिवजी ने यहीं शरण ली थी।