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ताउम्र बिखेरी साहित्य की खुशबू, कुछ ऐसे थे शिवमंगल सिंह ‘सुमन’

शिवमंगलसिंह ‘सुमन’ की जन्म शताब्दी पर विशेष : पूरे पीरियड में वे छात्रों को शब्दों से बांधे रखते। किसी का भी पीरियड खाली हो तो उस क्लास में सुमनजी मिलेंगे यह पक्का था।

उज्जैनJun 20, 2016 / 11:33 pm

राजीव जैन

Shiv managal singh suman, a poet of ujjain

Shiv managal singh suman, a poet of ujjain



कमल चौहान. उज्जैन. डॉ. शिव मंगल सिंह ‘सुमन’ एक ऐसा नाम, जो अपने आप में साहित्य के महाकाव्य से कम नहीं थे। पद्मभूषण सुमनजी की जिंदगी की किताब को सबनेे अपने नजरिए से पढ़ा, समझा और देखने के साथ महसूस किया। ताउम्र साहित्य की खुशबू बिखरने वाले सुमन का एक अंदाज जिंदादिल हरफनमौला व्यक्तित्व का भी रहा है। जो सिर्फ साहित्य ही नहीं बल्कि कॉलेज में छात्रों के बीच से लेकर ड्रामे के मंच तक लोकप्रियता अर्जित कर दिलों में छाए रहे। कविवर सुमन के 100वें जन्म दिवस पर साहित्य जगत के पुरोधा के जीवन से जुड़े संस्मरण आपके लिए..।

किराए के मकान से जिंदगी का सफर
उत्तरप्रदेश के उन्नाव में 5 अगस्त 1915 को जन्मे सुमनजी के बारे में बहुत कम लोग यह जानते हैं कि वे सबसे पहले उज्जैन आने के बाद चामुंडा माता के पास (वर्तमान महादजी सिंधिया स्कूल) अपने चार प्रोफेसर मित्रों के साथ किराए के मकान में रहे। इसके बाद आजादनगर में भी किराए के मकान में ज्यादातर समय बीता। माधव कालेज में ही प्रोफेसर और फिर प्राचार्य बनने तक उनका ठिकाना अस्थायी रहा। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति बनने के बाद अमेरिका में निवासरत बेटी उषा ने उद्यन मार्ग पर जमीन खरीद मकान बनवाया, जो आज सुमनजी के निवास के रूप में पहचाना जाता है।

पढ़ाने जाते, हाथ में आठ से दस किताब
माधव कॉलेज में सुमनजी पढ़ाने जाते थे तो हाथ में आठ से दस किताबें रहती थी। खासियत यह थी कि जितनी किताबें हाथ में लेकर आते थे उनमें से एक से भी नहीं पढ़ाते। ज्यादातर छात्र उनका यह अंदाज देख काफी हंसते भी थे, लेकिन प्रभावित भी उतना ही थे। पूरे पीरियड में वे छात्रों को शब्दों से बांधे रखते। किसी का भी पीरियड खाली हो तो उस क्लास में सुमनजी मिलेंगे यह पक्का था।

बगैर आवाज के जूते पहन आते
कब किस समय किस अंदाज में रहना है यह फन उन्हें बखूबी मालूम था। माधव कॉलेज के प्राचार्य रहते हुए उन्होंने छात्रों के बीच अपनी छाप छोड़ी। उनसे शिक्षा ग्रहण करने के साथ ही सबसे नजदीक रहे नृत्याचार्य राजकुमुद ठोलिया बताते हैं सुमनजी परीक्षा के दिनों में बगैर आवाज के जूते (बिना हिल) पहनकर आते थे। ताकि किसी को भी उनके क्लास में आने का आभास न हो। जबकि आम दिनों में जूते की ठक-ठक से उनके आने का आभास छात्रों को हो जाता था।

कालिदास समारोह में पहला हिंदी नाटक
कविवर सुमन साहित्य के साथ नृत्य नाटक और संगीत में भी खासी दखल रखते थे। अभा भारतीय कालिदास समारोह का पहला हिंदी नाटक प्रकृति पुरुष उन्हीं की देन है। इतना ही नहीं एक बार तो संस्कृत नाटक शकुंतला के लिए तैयार किए जा रहे गीत के बोल पर उन्होंने कलाकारों को रोक दिया और बोले कि ई के स्वर को खीचों तब गाने में जान आ जाएगी। यह सुन कई बड़े कलाकार दंग रह गए। कुछ बोले इन्हें क्या संगीत का तजुर्बा, लेकिन बाद वे ही तारीफ करते नहीं थके।

बेटों को भेज दिया देश सेवा में
डॉ. शिवमंगलसिंह सुमन के दो बेटे व दो बेटियां हैं। 1962 के चीन युद्ध के बाद उन्होंने पुत्र अरुणङ्क्षसह व वरुण को देश सेवा के लिए भेज दिया। एक की सेना व दूसरे की पुलिस विभाग में नौकरी लग गई, जबकि बेटी उषा व किरण विदेश चली गई।

रोज पढ़ते राम चरित्रमानस की 10 चौपाई
सुमनजी के लिए एक नियम उम्रभर नहीं टूटा, वह था राम चरित्र मानस को पढऩे का। वे दस चौपाइयां रोज पढ़ते थे। इसी बीच किसी का घर आना हो जाता तो उसे कहते थे कि हम क्या लिख रहे हैं लिखा तो रामचरित्र मानस में गया, हर बार पढ़ों कुछ नया सीखने को मिलता है।

सुमन संग इनका रहा अभिन्न रिश्ता
वे वैसे तो सभी से घुले-मिले थे, लेकिन उनका सबसे अधिक जुड़ाव अथवा संपर्क रहा ऐसे कुछ चुनिंदा नामों में विनोद मिल के मालिक नानासेठ लालचंद, डॉ. पुरुषोत्तम दाधिच, डॉ. चंद्रकात देवताले, डॉ. प्रभातकुमार भट्टाचार्य, प्रो. शिवनिवास रथ, नृत्याचार्य राजकुमुद ठोलिया काका रामचंद्र रघुवंशी, उनके पुत्र डॉ. प्रकाश रघुवंशी, प्रो. रामराजेश मिश्र, शीतल कुमार माथुर, उमाशंकर भट्ट आदि शामिल हैं।

और अंत में… तूफानों की ओर…
पद्मभूषण कहलाने का सफर यूं ही नहीं तय हुआ। यह अविरल साहित्य साधना ही रही, जिसका जुड़ाव जिंदगी के फलसफे से जुड़ा रहा। तूफानों की ओर घुमा दो नावी निज पतवार हो या मिट्टी के बर्तन जैसी प्रसिद्ध कविता ने उनके स्तर और मुकाम को तय किया। 2002 में सुमनजी जैसे धु्रव तारे का निधन मानों साहित्य-शिक्षा और कला-संस्कृति के क्षेत्र में एक युग के अवसान से कम नहीं था। सुमनजी आज भी लोगों के दिलों में जिंदा है..प्रणाम।

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