उज्जैन में महाकाल लोक के दूसरे चरण के कई कार्य चल रहे हैं। इसी के तहत महाराजवाड़ा स्कूल परिसर में बनी एक दीवार शुक्रवार शाम को ढह गई जिसमें दो लोगों की मौत हो गई। मामले में रविवार को पांच अधिकारी-कर्मचारी निलंबित कर दिए गए। महाकाल थाना टीआइ अजय वर्मा, एसआइ बीएल निगलवाल, महाकाल मंदिर क्षेत्र के सुरक्षा अधिकारी प्लाटून कमांडर दिलीप बामनिया, नगर निगम उपयंत्री गोपाल बोयत और विशेष गैंग प्रभारी मनीष बाली को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। इन सभी को अतिक्रमण नहीं रोकने और नहीं हटाने के लिए निलंबित किया गया है।
हादसे की मूल वजह को अभी भी नजरअंदाज किया जा रहा है। सवाल ये है कि नई बनी दीवार क्यों ढही! महाराजवाड़ा स्कूल परिसर में पुरानी दीवार के पीछे एक और दीवार बनाई गई थी। इन दोनों के बीच टनों मिट्टी थी। यहां जल निकासी की व्यवस्था ही नहीं थी। प्रोजेक्ट में इस बात का ध्यान ही नहीं रखा गया कि बारिश में महाराजवाड़ा भवन के विशाल परिसर का पानी कैसे और कहां से निकलेगा!
हकीकत तो यह है कि रिटेनिंग दीवार बनाने में जमकर लापरवाही बरतने की बात सामने आई है। भवन के लिए बनाई गई दीवार पत्थर की बजाए ईंट की बना दी गई। इंजीनियरों के अनुसार रिटेनिंग वाल नीचे मोटी और ऊपर पतली यानि ट्राइएंगल आकार में बनती है। रिटेनिंग वाल बनाते समय मिट्टी के दबाव का भी आकलन किया जाता है ताकि दीवार इसका भार सह सके। रिटेनिंग दीवार और मिट्टी के बीच मुरम, गिट्टी या चूरा भरते हैं ताकि मिट्टी फूले नहीं। महाराजवाड़ा में गिरी दीवार के पीछे बारिश से मिट्टी निकलना एक बड़ी वजह रही है।
महत्वपूर्ण तथ्य यह भी है कि रिटेनिंग दीवार में वीप होल दिए जाते हैं। जिस तरह होर्डिंग्स में हवा पास करने के लिए छेद किए जाते हैं वैसे ही दीवार के वीप होल पानी को निकालते हैं। इंजीनियरों का कहना है कि दीवार बनाते वक्त अगर यह खामियां रखी गई तो बड़े तकनीकी पहलुओं की अनदेखी की गई है। इन बिंदुओं के आधार पर जांच होती है तो जिम्मेदारों की लापरवाही सामने आ जाएगी।
महाकाल लोक निर्माण कार्य में गुणवत्ता और तकनीक पर शुरु से ही सवाल उठते रहे हैं। इन बातों को तब बल मिला जब लोकार्पण के महज 8 माह बाद ही महाकाल लोक में आंधी से कई प्रतिमाएं जमींदोज होकर टूट गई थीं। महाकाल लोक गलियारे में 150 से अधिक मूर्तियां हैं, जिनमें से सप्त ऋषियों की मूर्तियां टूट गई थीं। दीवार गिरने के बाद भी कलेक्टर नीरज सिंह ने जांच बैठा दी है।
बता दें कि 11 अक्टूबर 2022 को पीएम नरेंद्र मोदी ने महाकाल लोक का लोकार्पण किया था। महाकाल लोक का पहले चरण का विकास करीब 352 करोड़ रुपए की लागत से किया गया था। दूसरे चरण का काम अभी चल रहा है। योजना की कुल लागत करीब 1172 करोड़ रुपए है।
महाकाल लोक प्रोजेक्ट के दोनों चरणों की लागत शुरुआत में करीब 750 करोड़ रुपए थी, जिसे बढ़ाकर 850 करोड़ रुपए कर दिया गया था। इसकी वर्तमान लागत करीब 12 सौ करोड़ रुपए से ऊपर पहुंच गई है।