पत्रिका टीम दोपहर करीब 12.15 बजे विष्णुसागर पहुंची। यहां प्रवेश द्वार एक तरफ से खुला हुआ था। अंदर आए तो यहां सामने ही झूले और फिसलपट्टी नजर आई, जो पूरी तरह से टूट चुके थे। झूले के एंगल थे, लेकिन उनके जंजीर गायब थी। पास ही हैंडपंप पर कुछ लोग हाथ-मुंह धो रहे थे। इसका पानी भी सीधे तालाब में मिल रहा था। यहां इमली के पेड़ पर कभी रस्सी का झूला हुआ करता था, वह भी नहीं दिखाई दिया।
इसके आगे मंदिर है, यहां पर कुछ श्रद्धालु बैठे हुए थे। पूछने पर उन्होंने बताया कि वे रोजाना ही यहां आते हैं, लेकिन कुछ साल पहले तक यहां काफी अच्छा माहौल रहता था, लेकिन अब धीरे-धीरे ये जगह भी दुर्दशा का शिकार हो गई है। यहां लंबे समय से कोई कार्य नहीं हुआ है। असामाजिक तत्वों के कारण मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को भी परेशानी होती है।
मंदिर के सामने से सीढ़ी उतरकर पत्रिका टीम पार्क में पहुंची। यहां की हालत तो और भी खराब हो चुकी है। यहां लगी फिसलपट़्टी खतरनाक स्थिति में पहुंच गई है। इसके बीच में एक बड़ा गड्ढा हो गया है। इसके कारण यहां फिसलने वाले बच्चे चोटिल हो सकते हैं। इसके अलावा सीसा, झूले, चकरी सब टूट चुके हैं। इनको सुधारने की सुध कोई नहीं ले रहा। यहां व्यायाम की मशीनें भी लगी हैं, हालांकि इनमें से ेकुछ चालू हालत में हैं, बाकी खराब हो चुकी है। यहां दो डस्टबिन भी लगे हैं, तो कचरे से पूरी तरह भरे हुए हैं। इनको समय पर खाली तक नहीं किया जा रहा।
यहां से सामने तालाब में उतरने के लिए सीढिय़ां है। किनारे पर लाइटिंग फाउंटेर भंगार स्थिति में पड़ा हुआ है। किसी समय शाम को यह चलाया जाता था। इसके साथ ही भजन भी बजते थे, लेकिन अब ऐसा कुछ नहीं हो रहा। पास ही मोटरबोट भी पड़ी है, जो देखने से तो भंगार ही लग रही है।
इसके बाद पत्रिका टीम ने परिक्रमा पथ का जायजा लिया। यहां का मार्ग तो बेहतर है, लेकिन आसपास की झाडिय़ां काफी फैल चुकी हैं। इस कारण यहां कौन बैठा है पता ही नही चलता। थोड़ आगे जाने पर एक झाड़ी से बात करने की आवाज आती है, देखा तो वहां एक प्रेमी जोड़ा बैठा हुआ था। वे अपनी बातों में मशगूल थे। थोड़ा आगे जाने पर एक कुर्सी पर एक जोड़ा बेहद आपत्तिजनक स्थिति में बैठा नजर आता है। इन लोगों ने पत्रिका टीम को आते हुए देख भी लिया, लेकिन उन्हें इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। इसके आगे लगी कुर्सी पर भी जोड़ा बैठकर चर्चा कर रहा है। यहां की लगभग हर कुर्सी इंगेज ही मिली। थोड़ी दूर पर कुछ युवा सिगरेट पीते भी नजर आए। साथ ही वहां आसपास सिगरेट के पैकेट, डिस्पोजल ग्लास और नमकीन की पन्नियां भी बिखरी पड़ी थी। पूरे परिक्रमा पथ के यहीं हाल है। इन लोगों के कारण यहां नियमित आने वाले लोगों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है, साथ ही इस जगह की धार्मिकता भी दूषित हो रही है।
माधव कॉलेज आने के बाद बड़ी भीड़, खुलने-बंद होने का समय नहीं
विष्णुसागर के पास ही माधव कॉलेज भी स्थानांतरित होकर आ चुका है। इस कारण यहां दिनभर युवाओं की भीड़ लगी रहती है। स्टूडेंट्स क्लास बंक कर यहां बैठे रहते हैं। विष्णुसागर दिनभर खुला रहता है, इस कारण दोपहर के समय असामाजिक तत्व सक्रिय हो जाते हैं। लोगों का कहना है अगर पार्क के खुलने का एक निश्चित समय कर दिया जाए तो कुछ हद तक यहां का माहौल अच्छा रहेगा। दिनभर यहां कॉलेज से बंक मारकर मटर गश्ती करने वाले युवाओं पर भी रोक लग सकेगी।
संत कर रहे हैं आंदोलन
विदित हो कि संत समाज की ओर से शहर के सप्त सागरों की दर्दुशा को लेकर आंदोलन किया जा रहा है। इसके अंतर्गत गोर्वधन सागर की सफाई भी चल रही है। लोगों का कहना है कि विष्णुसागर का भी उ्द्धर कर इसके प्राचीन, पौराणिक और धार्मिक महत्व को बरकरार रखना चाहिए।
पास ही है रामजनार्दन मंदिर
विष्णुसागर के पास ही प्राचीन राम जनार्दन मंदिर है। पुरातत्वविदों के अनुसार राम-जनार्दन मंदिर भी भी 2७४ वर्ष पुराना है। मराठा काल में वर्ष 1748 में इसका निर्माण हुआ था। प्राचीन विष्णु सागर के तट पर विशाल परकोटे से घिरा मंदिरों का समूह है। इनमें एक श्रीराम मंदिर एवं दूसरा विष्णु मंदिर है। इसे सवाई राजा एवं मालवा के सूबेदार जयसिंह ने बनवाया था। इस मंदिर में 11वीं शताब्दी में बनी शेषशायी विष्णु तथा 10वीं शताब्दी में निर्मित गोवर्धनधारी कृष्ण की प्रतिमाएं भी लगी हैं। यहां श्रीराम, लक्ष्मण एवं जानकीजी की प्रतिमाएं वनवासी वेशभूषा में उपस्थित हैं।