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Nagpanchami 2024: सिर्फ 24 घंटे के लिए खुल रहे नागचंद्रेश्वर के पट, जानें साल में एक बार दर्शन का रहस्य

Nagpanchami 2024: महाकाल शिखर के तीसरे खंड में स्थापित इस मंदिर में है दुनिया की अनोखी प्रतिमा शुक्रवार रात 12 बजे तक कर सकेंगे दर्शन, सर्प दोश से मुक्ति पाने यहां हर साल आते हैं 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु…

उज्जैनAug 08, 2024 / 10:44 am

Sanjana Kumar

MP News

महाकालेश्वर मंदिर गर्भगृह के ऊपर पहले ओंकारेशवर फिर शिखर पर स्थापित है नागचंद्रेश्वर का प्राचीन और अनोखा मंदिर।

नागपंचमी 2024 (Nagpanchami 2024) का पर्व 9 अगस्त को एमपी समेत देशभर में मनाया जाएगा। इस दौरान ज्योतिर्लिंग महाकालेश्वर के शिखर पर स्थापित भगवान नागचंद्रेश्वर मंदिर के पट खोले जाएंगे। श्रद्धालु आज रात 8 अगस्त की रात से दर्शन का लाभ ले सकेंगे। साल में एक बार 24 घंटे के लिए खुलने वाले नागचंद्रेश्वर के इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालु शुक्रवार देर रात तक दर्शन कर सकेंगे।

अनोखी प्रतिमा जो उज्जैन के अलावा दुनिया में कहीं नहीं

मान्यता है कि नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित प्रतिमा अपने आप में एक अनोखी प्रतिमा है। उज्जैन के अलावा दुनियाभर में ऐसी कोई दूसरी प्रतिमा नहीं है। दरअसल अब तक हमने सर्प शैय्या पर भगवान विष्णु को ही आराम करते देखा है। लेकिन नागचंद्रेश्वर मंदिर में स्थापित इस प्रतिमा में भगवान विष्णु नहीं बल्कि भगवान शिव सर्प शैय्या पर लेटे हैं।
सात फनों से सुशोभित नागचंद्रेश्वर के साथ गणेशजी और मां पार्वती भी शैय्या पर विराजमान हैं। तो शिव के गले और भुजाओं में भुजंग लिपटे हैं।

नागचंद्रेशमवर मंदिर की पौराणिक मान्यता


एक पौराणिक मान्यता के अनुसार माना जाता है कि सर्प राज तक्षक ने भगवान शिव को मनाने के लिए घोर तपस्या की थी। उनकी तपस्या से भगवान शिव प्रसन्न हुए और उन्होंने सर्पों के राजा तक्षक नाग को अमरत्व का वरदान दिया।
मान्यता है कि उसके बाद तक्षक राज ने शिव चरणों में ही वास किया। लेकिन महाकाल वन में वास करने से पहले उन्होंने ये इच्छा जाहिर की थी कि उनके एकांत में विघ्न ना हो…उनकी इस इच्छा का ध्यान रखते हुए ही इस मंदिर को साल में केवल एक दिन नागपंचमी के अवसर पर 24 घंटे के लिए खोला जाता है।

सर्प दोष से मिलती है मुक्ति


माना जाता है नागचंद्रेश्वर के इस मंदिर में दर्शन करने के बाद सर्प दोष से मुक्ति मिल जाती है। यही कारण है कि नागपंचमी के अवसर पर यहां भक्तों का सैलाब उमड़ता है।
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राजा भोज ने करवाया था मंदिर का निर्माण, सिंधिया घराने से भी नाता


बताया जाता है कि परमार राजा राजा भोज (King Raja Bhoj) ने 1050 ईस्वी में इस मंदिर का निर्माण करवाया था। इसके बाद सिंधिया घराने के महाराज राणोजी सिंधिया (Maharaja Ranoji Scindia) ने 1732 में महाकाल मंदिर का जीर्णोद्धार करवाया था। उसी समय नागचंद्रेश्वर मंदिर का भी जीर्णोद्धार हुआ था। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग के गर्भगृह के ठीक ऊपर ओंकारेश्वर का मंदिर स्थापित है। मंदिर के शिखर पर यानी शीर्ष पर नागचंद्रेश्वर का ये मंदिर है।

हर साल 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु करते हैं दर्शन

बता दें कि हर साल नागपंचमी के अवसर पर 24 घंटे में 2 लाख से ज्यादा श्रद्धालु इस मंदिर में दर्शन करने पहुंचते हैं। मंदिर प्रबंध समिति के अध्यक्ष नीरज कुमार सिंह ने बताया कि महाकाल मंदिर उज्जैन में नागपंचमी 2024 के अवसर पर महाकाल मंदिर में दर्शन के लिए अलग रूट और नागचंद्रेश्वर मंदिर में दर्शन के लिए अलग रूट निर्धारित किया गया है। त्रिवेणी संग्रहालय से 40 मिनट में महाकाल के दर्शन किए जा सकेंगे।

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