महाकाल ही यहां के राजाधिराज हैं और दूसरा कोई राजा यहां रात नहीं बिताता। वे दर्शन करने के बाद चले जाते हैं। सिंधिया राजघराने का कोई भी सदस्य यहां कभी नहीं रुका। वे उज्जैन दर्शन करने जरूर आते हैं, लेकिन वापस लौट जाते हैं। इनके अलावा प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान समेत कई प्रदेश सरकार के मंत्री भी कभी रात उज्जैन में नहीं रुकते हैं।
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29 मई को आएंगे राष्ट्रपति
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद 29 मई को उज्जैन आ रहे हैं। पिछले 21 वर्षों बाद कोई राष्ट्रपति उज्जैन आ रहा है। कोविंद उज्जैन आने वाले 9वें राष्ट्रपति होंगे। वे राष्ट्रपति सेना के एमआई हेलीकॉप्टर से पुलिस लाइन हेलीपेड पर आएंगे। उनके भोजन आदि की व्यवस्था सर्किट हाउस में की गई है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द सुबह 10 बजे कालिदास संस्कृत अकादमी के पंडित सूर्यनारायण व्यास संकुल में होने वाले अखिल भारतीय आयुर्वेद महासम्मेलन के 59वें अधिवेशन में बतौर मुख्य अतिथि सम्मिलित होंगे।
14 जून को आएंगे पीएम मोदी
इधर, 14 जून को महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण करने के लिए देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उज्जैन पहुंच रहे हैं। वे महाकाल दर्शन करेंगे। इसके बाद महाकाल कॉरिडोर का लोकार्पण करेंगे। पीएम मोदी के लिए भी यहां ठहरने और खाने की व्यवस्था की गई है। हालांकि यह तय नहीं है कि वे यहां विश्राम करेंगे या नहीं। नवंबर 2013 में नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में महाकाल मंदिर आ चुके हैं। वर्ष 2016 में सिंहस्थ महापर्व के समय में भी उज्जैन आए थे, हालांकि तब वे मंदिर नहीं गए थे।
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यह भी आ चुके हैं महाकाल मंदिर
पीएम मोदी देश के चौथे प्रधानमंत्री होंगे जो महाकाल दर्शन करने आ रहे हैं। इससे पहले लालबहादुर शास्त्री, मोरारजी देसाई, राजीव गांधी भी महाकाल दर्शन करने आ चुके हैं। इंदिरा गांधी 29 दिसंबर 1979 को महाकाल मंदिर आई थीं। जब वे मंदिर पहुंची तब भस्म आरती चल रही थी। इसलिए उन्होंने बाहर से ही दर्शन किए थे।
जो रुके, उनकी छिन गई कुर्सी
ऐसा माना जाता है कि जो राजा या नेता यहां रात्रि विश्राम करता है, उसे अपना पद छोड़ना पड़ता है। देश के चौथे प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई के बारे में भी यह कहा जाता है कि वे एक रात उज्जैन में रुके थे और दूसरे ही दिन उनकी सरकार गिर गई थी। इसी के साथ कर्नाटक के मुख्यमंत्री येदियुरप्पा भी उज्जैन में ठहरे थे, इसके 20 दिन बाद ही उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ गया था।
क्यों है ऐसी मान्यता
प्राचीन शहर उज्जैन विक्रमादित्य के समय राज्य की राजधानी थी। मंदिर से जुड़े रहस्य और सिंघासन बत्तीसी के मुताबिक राजा भोज के समय से ही कोई भी राजा उज्जैन में रात्रि निवास नहीं करता है। इसे कई लोग कालिदास की नगरी भी मानते हैं। इसी शहर में बाबा महाकालेश्वर कि 12 ज्योतिर्लिंग में से एक शिवलिंग उज्जैन में भी है, यह ऐसा शिवलिंग है जो दक्षिण मुखी है। ऐसा कहा जाता है कि दक्षिण दिशा मृत्यु या काल की दिशा होती है, इसीलिए इस शिवलिंग को महाकाल कहते हैं।
यह भी मान्यता प्रचलित है कि दूषण नाम के असुर का उज्जयिनी में काफई आतंक था, लोग परेशान हो चुके थे। उनकी रक्षा के लिए भगवान शिव महाकाल के रूप में प्रकट हुए। महाकाल ने दूषण का वध किया और लोगों को आतंक से छुटकारा दिलाया। राक्षस से छुटकारा दिलाने के बाद लोगों ने भगवान शिव से प्रार्थना की कि वे उज्जैन में निवास कर करें, यह बात भगवान ने मान ली और वे उज्जैन में ही शिवलिंग के रूप में बस गए।