सड़कें गायब, कच्चे मकानों की भरमार
ऊंचाई पर बसे इस गांव में अंदरूनी सड़कें गायब थीं, कच्चे मकानों की भरमार थी। शिवनारायण बोले, गांव में बहुत गंदीवाड़ा है। बारिश में खाल भरने से रास्ता बंद हो जाता है। इलाज के लिए नारायणा जाते हैं। बच्चे कॉलेज पढऩे महिदपुर जाते हैं।Ó आगे बढ़ा तो लाखाखेड़ी में बालूजी व रायसिंह ने पानी और कच्चे मकानों की समस्या गिनाई। भीमाखेड़ा के कन्हैयालाल बोले, ग्राम पंचायत में कुछ काम नहीं हो रहा है। महिदपुर शहर में स्थिति ठीक नहीं। यहां जनता तंग बाजार और खराब यातायात से परेशान है। अयोध्या बस्ती के आबीर हुसैन ने बताया, क्षेत्र में सड़कें खराब हैं। इसी विधानसभा क्षेत्र के ग्राम अरनिया सेरपुर में एक दुकान में बैठे युवाओं से बातचीत का सिलसिला शुरू किया, तो महेंद्रसिंह बोले, 40 घरों के गांव में प्यास बुझाने को एक हैंडपंप हैं। पीएम आवास योजना के बावजूद अधिकांश मकान कच्चे हैं।
बेरोजगारी और पलायन
महिदपुर से शिप्रा पुल पार कर जब मैं नागदा-खाचरौद विधानसभा क्षेत्र की ओर बढ़ा तो यहां शिप्रा का बहाव उज्जैन की तुलना में काफी संतोषजनक था। उद्योग से रोजगार देने वाले नागदा में शाम को पहुंचा तो कई लोग फैक्ट्री वाला हेलमेट पहने जाते दिखे। चर्चा में सामने आया कि कोरोना के दौरान बड़ी संख्या में श्रमिकों को बाहर कर दिया। उन्हें वापस नहीं लिया गया। इसलिए बेरोजगारी की हालत है। जिला बनाने की मांग होती है, लेकिन यहां व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा का अभाव है। युवक रोहित ने कहा, इंजीनियरिंग, आईटीआई, एमबीएम आदि के लिए नागदा के विद्यार्थी पलायन करते हैं। नागदा से ग्राम उमरनी आया तो बीकॉम ग्रेजुएट राहुल पंवार ने बताया, रोजगार नहीं है, इसलिए नागदा में मजदूरी करता हूं। गांव में पानी और सड़क की समस्या है। आरओबी का काम बंद पड़ा है। ग्राम उमरना में चाय की दुकान पर मांगीलाल प्रजापत कहने लगे, सबसे बड़ा मुद्दा पानी का है। वे यह भी बोले, अभी मिडिल तक स्कूल है। इसके बाद कई बच्चियों की पढ़ाई छूट जाती है। मुरानाबादी के जीवनलाल परमार ने भी पानी व सड़क की समस्या गिनाई। खाचरौद में युवक गौरव ने कहा, एक दिन छोड़कर पानी से काम चल जाता है लेकिन कॉलेज में प्रोफेशनल कोर्स नहीं हैं। गेस्ट फैकल्टी के दम पर कॉलेज चलाने का प्रयास हो रहा है।
गर्भवती को गांव से बाहर लाना मुश्किल
बडऩगर विधानसभा क्षेत्र के सफर की शुरुआत भाटपचलाना से हुई। सड़क किनारे बैठे भूतपूर्व सैनिक रामेश्वर पोरवाल ने कहा, यहां से महज तीन किलोमीटर दूर सावतपुरा गांव है, लेकिन सड़क निर्माण नहीं किया। इमरजेंसी में किसी गर्भवती महिला को लाना हो तो उसकी मौत हो जाए। भाटपचलाना में मंडी बनी लेकिन चलती नहीं है। साथ बैठे कालूराम चौधरी बोले, पहले डॉक्टरों की तनख्वाह यहां से निकलती थी, लेकिन अब बीएमओ पोस्ट इंगोरिया को दे दी। भाटपचालना को टप्पा तहसील नहीं बनाया, नहीं तो तहसीलदार दो दिन यहां बैठते। बडग़ांव में मोहनलाल बोले, एक बोरिंग से पानी मिलता है, अभी टंकी का काम चल रहा है। रुनीजा रोड के माधवपुरा ग्राम पहुंचा तब तक रात हो चुकी थी। स्ट्रीट लाइट नहीं होने से गांव अंधेरे में डूबा था। तवरेज मंसूरी ने बताया, दोराया कॉलोनी में पाइप लाइन नहीं डली है। नालियों की सफाई नहीं होती। दीपक मालवीय ने कहा, वर्षों से आरओबी बनने का इंतजार कर रहे हैं।
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