बताते हैं कि उस समय बड़ी संख्या में मंदिर परिसर में श्रद्धालु मौजूद थे। नागचंद्रेश्वर मंदिर में नागपंचमी की तैयारी चल रही थी. यहां के पट साल में केवल एक बार सावन में नागपंचमी के दिन ही खुलते हैं। इस दिन यहां हजारों श्रद्धालु पहुंचते हैं।
इस आगामी 2 अगस्त को नागपंचमी है. नागपंचमी के इस पर्व को लेकर महाकाल मंदिर परिसर में तेजी से तैयारियां चल रही हैं। श्रद्धालुओं की सुविधा और मंदिर के स्ट्रक्चर की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इस बार मंदिर में फोल्डिंग ब्रिज तैयार किया जा रहा है। श्रद्धालु इसके माध्यम से नागचंद्रेश्वर मंदिर तक आसानी से दर्शन को पहुंच सकेंगे। नागचंद्रेश्वर मंदिर के नीचे इसी फोल्डिंग ब्रिज के निर्माण के दौरान आग लगी।दरअसल ब्रिज निर्माण के लिए यहां प्लास्टिक, कागज और अन्य सामान रखा था। यही कारण है कि वेल्डिंग की चिंगारी से प्लास्टिक, कागज और अन्य सामानों से आग फैल गई।
आग लगने से पूरे परिसर में अफरा-तफरी मच गई। मंदिर के कर्मचारी और यहां आए कई भक्त आग बुझाने के लिए मशक्कत करते रहे। यहां आग बुझाने के यंत्र भी उपलब्ध नहीं थे जिससे लोग परेशान हो उठे. गनीमत रही कि समय रहते ही आग पर काबू पा लिया गया। हैरत की बात तो यह है कि आग बुझाने के लिए महाकाल मंदिर में कितने फायर इस्टिंगुशर हैं और कहां लगे हैं, ये वहां कर्मचारियों को भी पता नहीं था। मंदिर में लगी आग अगर विकराल रूप ले लेती तो बहुत मुश्किल खड़ी हो सकती थी।