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उज्जैन

लड़कियों और महिलाओं को भूलकर भी नहीं करने चाहिए भगवान शिव के इस स्वरूप के दर्शन

जानें भगवान शिव के किस स्वरूप को देखने पुरुष और महिलाओं के लिए हैं अलग-अलग नियम…

उज्जैनJan 14, 2024 / 09:20 am

Sanjana Kumar

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भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उज्जैन में महाकाल के रुप में विराजमान हैं। भगवान शिव जितने सरल और सहज हैं उतने ही वे रहस्यमयी भी हैं। पूरे भारत में अपने रहस्यमय स्वरुपों में भगवान शिव के सबसे रहस्‍यमयी स्‍वरूपों में से एक है महाकाल। मध्य प्रदेश के उज्जैन नगरी एक धार्मिक स्थल है। यहां भगवान शिव का विशाल मंदिर है। इस मंदिर को महाकाल के नाम से जाना जाता है। मंदिर में रोज बाबा का श्रृंगार व 5 आरती होती है। महाकाल मंदिर में बाबा के दर्शन के लिए हमेशा ही भक्तों का तांता लगा रहता है, लेकिन सुबह 4 बजे की भस्म आरती के समय भक्तों की भारी भिड़ होती है। क्योंकि सुबह भोर के समय भस्म आरती बहुत ही खास मानी जाती है। आरती के समय कुछ खास नियम भी होते हैं जिन्हें पालन करना होता है, आइए जानते हैं इस आरती से…

भस्म आरती के दर्शन करने के लिए पुरुषों को कुछ नियमों का पालन करना होता है उन्हें इस आरती को देखने के लिए केवल धोती पहननी होती है। धोती साफ-स्‍वच्‍छ और सूती होनी चाहिए। पुरुष इस आरती को केवल देख सकते हैं और करने का अधिकार केवल यहां के पुजारियों को होता है। वहीं महिलाओं के लिए हर सुबह होने वाली भस्म आरती में कुछ खास नियमों का पालन करना अनिवार्य होता है। महिलाओं को आरती में शामिल होने के लिए साड़ी पहनना जरूरी होता है उसी के साथ-साथ जिस वक्‍त शिवलिंग पर भस्‍म चढ़ती है उस वक्‍त महिलाओं को घूंघट करने को कहा जाता है। माना जाता है कि उस वक्‍त भगवान शिव निराकार स्‍वरूप में होते हैं। और मगिलाओं को भगवान के इस स्‍वरूप के दर्शन करने की अनुमति नहीं होती।

भस्‍म आरती के नियम

भर में सुबह 4 बजे होने वाली आरती को भस्म आरती इसलिए कहा जाता है क्योंकि महाकाल बाबा की पहली आरती के समय बाबा महाकाल का श्‍मशान में जलने वाली सुबह की पहली चिता के भस्म से श्रृंगार किया जाता है। इस भस्‍म से बाब महाकाल का श्रृंगार हो इसके लिए भी लोग पहले से ही रजिस्‍ट्रेशन कराते हैं और मृत्‍यु के बाद उनकी भस्‍म से भगवान शिव का श्रृंगार किया जाता है। इसके अलावा भस्म आरती में दर्शन के लिए भी रजिस्ट्रेशन किया जाता है। भस्म आरती के दर्शन के लिए आए भक्तों को वहां कुछ नियमों का पालन करना पड़ता है, यहां महिलाओं के लिए अलग व पुरुषों के लिए अलग नियम होते हैं आइए आपको बताते हैं दोनों के लिए किन नियमों का पालन करना है जुरुरी….

 

ऐसे शुरू हुई भस्‍म आरती की परंपरा

पौराणिक कथाओं में बताया गया है कि प्राचीन काल में दूषण नाम के एक राक्षस की वजह से पूरी उज्‍जैन नगरी में हाहाकार मचा था। नगरवासियों को इस राक्षस से मुक्ति दिलाने के लिए भगवान शिव ने उसका वध कर दिया। फिर गांव वाले भोले बाबा से यहीं बस जाने का आग्रह करने लगे। तब से भगवान शिव महाकाल के रूप में वहां बस गए। शिव ने दूषण को भस्‍म किया और फिर उसकी राख से अपना श्रृंगार किया। इसी वजह से इस मंदिर का नाम महाकालेश्‍वर रख दिया गया और शिवलिंग की भस्‍म से आरती की जाने लगी।

एक व्यक्ति 10 टिकट की कर सकता है बुकिंग

महाकाल दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग 60 दिन पहले की जा सकती है। इसके अलावा दर्शन से दो दिन पहले भी टिकट बुक कर सकते हैं। एक व्यक्ति अपने खाते के माध्यम से 10 लोगों के लिए बुकिंग कर सकता है। ऑनलाइन बुकिंग के लिए श्रद्धालुओं को 200 रुपए देने होंगे।

दर्शन के लिए ऑनलाइन बुकिंग करने से पहले, आधिकारिक वेबसाइट shrimahakaleshwar.com पर जाएं। होम पेज पर जाकर आपको Mahakal Darshan/Bhasm Aarti Booking पर क्लिक करना होगा। इसके बाद दर्शन या आरती के लिए तारीख का चयन करें। यहां रजिस्ट्रेशन करें। बुकिंग के बाद, आपके मोबाइल पर मैसेज के माध्यम से रजिस्ट्रेशन संख्या और पासवर्ड आ जाएगा।

ध्यान रखें कि यहां स्त्रियों और बच्चों के दर्शन के लिए कोई शुल्क नहीं देना होगा। पति और पत्नी चार बच्चों के साथ यात्रा कर सकते हैं। श्रद्धालु प्रतिदिन ज्योतिर्लिंग महाकाल मंदिर में भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए सुबह 6 बजे से लेकर दोपहर 12:30 बजे तक ₹750 और ₹1500 के टिकट पर जा सकते हैं। यात्री बड़ा गणेश मंदिर के पास प्रोटोकॉल कार्यालय के काउंटर से टिकट खरीद सकते हैं।

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